रांची: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आगामी चुनावों में नागरिकता के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने पर विचार कर रही है तो वहीं, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास का कहना है कि उनके राज्य को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की जरूरत है, ताकि बांग्लादेश से आए घुसपैठियों की जांच हो सके, क्योंकि कुछ जिलों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं. उन्होंने नौकरियों में आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण का भी समर्थन किया और इस मुद्दे पर आम सहमति का आह्वान किया.
रघुबर दास ने भाजपा के गुड गवर्नेंस सेल द्वारा आयोजित एक यात्रा के दौरान आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, “हम सभी बांग्लादेशियों को एक-एक कर बाहर करेंगे. इसमें कोई संदेह नहीं है. पाकुड़ में हिंदू अब अल्पसंख्यक हैं. यहां बांग्लादेशी 50 प्रतिशत से अधिक हैं, जबकि साहबगंज, गोड्डा और जामतारा जिलों में संख्या में बांग्लादेशियों की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. हम झारखंड में एनआरसी लागू करेंगे.”
झारखंड सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस संबंध में संपर्क किया है और इसे शुरू करने के लिए उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है. मुख्यमंत्री ने राजनीतिक दलों पर राज्य भर में बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया और कहा कि इस मुद्दे को जल्द से जल्द निपटाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस आजादी के 67 सालों बाद भी वोट बैंक की राजनीति करती रही. ये सभी समस्याएं कांग्रेस की वोट बैंक राजनीति के कारण पैदा हुई हैं. उन्होंने देश तोड़ने के लिए राजनीति की, जबकि हम (भाजपा) देश को एकजुट करने की राजनीति कर रहे हैं.”
ये भी पढ़ें- तो पीके के तौर पर नितीश कुमार ने अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है !
उन्होंने आरोप लगाया कि साहबगंज, पाकुड़, गोड्डा और जामतारा सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलें हैं, जहां सैकड़ों की संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं. आर्थिक मानदंडों के आधार पर नौकरी में आरक्षण की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने आम सहमति के लिए इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर की चर्चा की मांग की.
उन्होंने कहा, “मैं आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण के पक्ष में हूं. समाज में हर कोई अमीर नहीं है. ऐसा नहीं है कि उच्च जाति के सभी लोग अमीर हैं. मैं इसके पक्ष में हूं. हर समाज में गरीब लोग हैं. इस मुद्दे पर चर्चा की जरूरत है और एक आम सहमति विकसित की जानी चाहिए.”
मुख्यमंत्री ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के विचार का भी समर्थन किया, लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ झारखंड विधानसभा चुनाव होने की बात से इनकार कर दिया. झारखंड में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के छह महीने बाद के लिए निर्धारित हैं.
उन्होंने कहा, “मैं ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के पक्ष में भी हूं. प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर बहस का आह्वान किया है. इसके पक्ष में बहस और चर्चा द्वारा एक वातावरण बनाया जाना चाहिए. ऐसा नहीं है कि हम चाहते हैं और वे चाहते हैं. यह सर्वसम्मति का मामला है. इसे संसद द्वारा पारित करने की जरूरत है. अगर आम सहमति होती है तो 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ हो सकते हैं.”
यह पूछे जाने पर कि क्या वह लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराए जाने के पक्ष में हैं? उन्होंने कहा, “हमारा चुनाव निर्धारित समय पर होगा और लोकसभा चुनाव अपने निर्धारित समय पर होंगे। यहां किसी तरह का अगर-मगर नहीं है. मैं पहले चुनाव के बारे में क्यों सोचूं. मैं कोई खराब हालत में नहीं हूं.”
ये भी पढ़ें- दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने दिया इस्तीफा, पार्टी ने किया खंडन
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2019 में महागठबंधन का कोई असर नहीं होगा और उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा फिर से विजयी होगी.
उन्होंने कहा, “चाहे वह गठबंधन हो या महागठबंधन, हमें कोई परवाह नहीं है. क्या तेल और पानी एक साथ मिल सकते हैं? यहां तक कि जब आप एक साथ तेल और पानी को मिलाते हैं तो भी वे अलग हो जाएंगे. हमारा ध्यान संगठन को मजबूत करने पर है. हमारे पास मोदी जी जैसा नेतृत्व है, जिस पर देश के लोगों को दृढ़ विश्वास है.”