नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में लम्बे अरसे तक भयंकर गुटबाजी की शिकार रही कांग्रेस इस बार कोई गलती नहीं करना चाहती. भोपाल में राहुल गांधी के सफल रोड शो के बाद राज्य में कांग्रेस के सभी प्रमुख चेहरे यह सन्देश देने में जुट गए हैं कि वो कुर्सी की दौड़ में नहीं हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने साफ़ किया है कि वो मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं.
पंद्रह साल से लगातार मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है कांग्रेस के लगातार हारने की जो वजहें गिनवाई जाती हैं उनमें पार्टी के नेताओं की अंदरूनी कलह एक प्रमुख कारण बनकर सामने आती है. इस बार मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के प्रति लोगों में गुस्सा पहले के मुकाबले ज्यादा माना जा रहा है. विशेषकर एससी-एसटी एक्ट संशोधन को लेकर सवर्णों के बीच गुस्सा सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में ही दिख रहा है. कांग्रेस इस बार वहां नहीं चूकना चाहती, पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के रोड शो में भारी भीड़ जुटी. वहीं राहुल ने भी कार्यकर्ताओं की अहमियत और गुटबाजी को लेकर कड़े रुख का इजहार किया.
राहुल के रोड शो के बाद दो दिन पहले एनडीटीवी से बातचीत में कमल नाथ ने साफ़ किया कि वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं. उनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ कार्यकर्ताओं को एकजुट करके शिवराज सरकार को उखाड़ फेंकना है. इसके बाद अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह सामने आए हैं. उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर सोशल मीडिया पर कैम्पेन चल रहा है.
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ट्विटर पर सोमवार शाम को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस का चेहरा बनाने की मांग करते हुए एक अभियान दिग्विजय फॉर सीएम शुरू किया गया है. इस अभियान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दिग्विजय ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘जिसने भी यह अभियान शुरू किया है, वह मेरा शुभचिंतक नहीं है. मैं मध्यप्रदेश का एक दशक तक मुख्यमंत्री रहा हूं और मेरे पहले दिए गए बयान कि मैं मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी नहीं हूं, से पीछे हटने का कोई प्रश्न ही नहीं है. मैं ऐसा नहीं हूं, जो कहें कुछ और करें कुछ और.’
दिग्विजय प्रदेश में वर्ष 1993 से 2003 तक दस साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं. वह कई दफा यह बयान दे चुके हैं कि यदि कांग्रेस प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता में आती है तो वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं है. उल्लेखनीय है कि प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले है.