लखनऊ: राजधानी में एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या के मामले ने तूल पकड़ लिया है. विपक्ष के हमलावर रुख के बाद अब सरकार के मंत्री और बीजेपी विधायक भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं. पहले कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने घटना को घृणित करार दिया था और अब बीजेपी के दो विधायकों ने जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है.
ये भी पढ़ें- विवेक तिवारी केस: हत्या के आरोपी सिपाहियों की मदद में जुटे पुलिसकर्मी, किया फेसबुक पोस्ट
पुलिस की हरकत घृणित- ब्रजेश पाठक
विवेक तिवारी के अंतिम संस्कार में पहुंचे कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक ने साफ कहा था कि पुलिस इस केस में लीपापोती की कोशिश कर रही है लेकिन किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. ब्रजेश पाठक ने सवाल किया कि क्या कार न रोकने पर सभी कार चालकों को यूपी पुलिस गोली मारती है. ब्रजेश पाठक ने कहा कि हत्यारे सिपाहियों को पुलिस ने गोद में उठाया. उनकी जगह सिर्फ जेल होनी चाहिए. कानून मंत्री ने पुलिस की हरकत को घृणित करार देते हुए कहा कि हत्याकांड में पुलिस ने पूरी तरह लापरवाही बरती. उन्होंने कहा कि पुलिस का रवैया काफी दुखद रहा.
ये भी पढ़ें- विवेक तिवारी केस: नई FIR दर्ज, पुलिस पर सना से सादे कागज पर दस्तखत करवाने का आरोप
बीजेपी विधायकों का भी फूटा गुस्सा
लखनऊ की पुलिस और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली से बीजेपी विधायकों में भी नाराजगी है. हरदोई की शाहाबाद से विधाकर रजनी तिवारी और बरेली की बिथरी चैनपुर से विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. दोनों विधायकों ने लखनऊ के डीएम और एसएसपी पर कार्रवाई की मांग की है. पप्पू भरतौल ने अपने पत्र में लिखा है कि, “लखनऊ की घटना बेहद निंदनीय है. पीड़ित पक्ष को एसएसपी, डीएम द्वारा धमकाया जा रहा है.” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पीड़ित पक्ष के साथ है. आपको बताते चलें कि बिथरी विधायक लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं. विधायक ने बातचीत में यह स्वीकारा है कि उन्होंने सीएम को पत्र लिखकर कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा है.
वहीं रजनी तिवारी ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि इस मामले में पुलिस की छवि धूमिल हुई है. पुलिस के लोग जिस सिपाही को जेल भेजने की बात कर रहे थे वह थाने के अंदर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा था. उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी पर तो पीड़ित परिवार को धमकाने का भी आरोप लगा. इससे स्थानीय प्रसासन का बर्ताव पक्षपातपूर्ण प्रतीत होता है. विधायक ने अधिकारियों के विवेक, बुद्धि और संवेदनहीनता पर सवाल खड़े करते हुए लखनऊ के एसएसपी और डीएम के खिलाफ कारवाई की मांग की है.