यमुना पानी विवाद में कांग्रेस ने उठाया मुद्दा, केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर की मांग

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच यमुना के पानी में अमोनिया के बढ़ते स्तर को लेकर सियासत तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच यह मामला पहले से ही तूल पकड़ चुका था, और अब कांग्रेस भी इसमें कूद पड़ी है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आरोप झूठे साबित होते हैं, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए। यह आरोप खासतौर पर हरियाणा सरकार पर लगाए गए हैं, जिनके बारे में केजरीवाल ने दावा किया था कि वे यमुना नदी में अमोनिया डाल रहे हैं, जिसके कारण पानी जहरीला हो गया है।

कांग्रेस ने चुनाव आयोग से की जांच की मांग

कांग्रेस ने इस मामले को लेकर चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है। कांग्रेस का कहना है कि अगर अरविंद केजरीवाल का बयान गलत पाया जाता है तो उनके खिलाफ चुनाव प्रचार के दौरान अफवाह फैलाने का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। कांग्रेस के मुताबिक, ऐसा बयान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है और यह चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। पार्टी ने यह भी कहा कि अगर यह आरोप सही साबित होते हैं और हरियाणा सरकार की तरफ से यमुना में अमोनिया मिलाया जाता है तो उसके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।

कांग्रेस ने चुनाव आयोग से यह भी अनुरोध किया है कि इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए, ताकि किसी भी तरह की अफवाह को बढ़ावा न मिले। कांग्रेस का मानना है कि यह मामला बहुत संवेदनशील है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

हरियाणा की सरकार पर गंभीर इल्जाम

आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी इस मामले में चुनाव आयोग से संपर्क किया है। पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री आतिशी ने इस मुद्दे को उठाया और चुनाव आयोग को बताया कि यमुना नदी में अमोनिया का स्तर हरियाणा से आ रहे पानी में बढ़ रहा है। आतिशी ने यह आरोप लगाया कि यमुना नदी के पानी में अमोनिया का स्तर अब इतना बढ़ गया है कि दिल्ली के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स में पानी साफ करना मुश्किल हो गया है।

आतिशी ने यह भी कहा कि दिल्ली के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स 1-2 पीपीएम तक अमोनिया को ट्रीट कर सकते हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों में अमोनिया का स्तर 4-7 पीपीएम तक पहुंच गया है। 7 पीपीएम से ज्यादा अमोनिया यानी जहरीला पानी, जो पीने के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। अगर यही स्थिति जारी रहती है तो दिल्ली के कई वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स बंद हो सकते हैं।

पानी का संकट और चुनावी राजनीति

दिल्ली में यमुना के पानी को लेकर यह विवाद सिर्फ एक जलसंकट नहीं बल्कि अब एक चुनावी मुद्दा बन चुका है। आम आदमी पार्टी के नेता यह मानते हैं कि हरियाणा की सरकार जानबूझकर यमुना के पानी में अमोनिया डाल रही है, ताकि दिल्लीवासियों को शुद्ध पानी न मिल सके। इस आरोप के बाद हरियाणा सरकार ने भी प्रतिक्रिया दी है और इसे गलत बताया है।

इस विवाद ने इस कदर तूल पकड़ा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचे और अपनी प्रतिक्रिया दी। सैनी ने कहा कि उनकी सरकार यमुना नदी में कोई अमोनिया नहीं मिला रही है और इस आरोप को पूरी तरह से बेबुनियाद करार दिया।

आखिरकार, यमुना नदी का संकट

यह विवाद दिल्लीवासियों के लिए एक गंभीर संकट का रूप ले सकता है। यमुना नदी दिल्ली का प्रमुख जलस्रोत है और इस नदी में पानी की गुणवत्ता में गिरावट से राजधानी में पानी की समस्या और बढ़ सकती है। अगर अमोनिया का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो दिल्लीवासियों को पीने के पानी के लिए और बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

दिल्ली सरकार ने कहा है कि वे इस मामले पर लगातार निगरानी रखेंगे और हरियाणा सरकार से इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे। इसके साथ ही, आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से यह भी मांग की है कि इस मामले की पूरी जांच हो और यदि जरूरत पड़ी तो हरियाणा सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

पानी का सवाल, राजनीति का हथियार?

यमुना नदी में अमोनिया के बढ़ते स्तर को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ है, वह केवल पानी की गुणवत्ता का सवाल नहीं, बल्कि चुनावी राजनीति का भी हिस्सा बन चुका है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, लेकिन इस विवाद का सबसे बड़ा प्रभाव दिल्लीवासियों पर पड़ेगा, जो पहले ही पानी की कमी से जूझ रहे हैं। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इस मुद्दे पर क्या कार्रवाई करता है और क्या यह विवाद चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है।

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