महाराष्ट्र के नागपुर के महाल इलाके में औरंगजेब की कब्र को लेकर शुरू हुआ विवाद हिंसा में तब्दील हो गया। अफवाहों के चलते दो गुट आमने-सामने आ गए, जिसके बाद जमकर पत्थरबाजी हुई और उपद्रवियों ने कई गाड़ियों और दुकानों में तोड़फोड़ की। हालात बेकाबू होते देख पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा।
मंगलवार को स्थिति कुछ हद तक नियंत्रण में रही, लेकिन शहर के संवेदनशील इलाकों में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। कई इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है। अब पुलिस इस हिंसा के पीछे के मास्टरमाइंड को तलाश रही है।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर एक साथ 400-500 लोगों की भीड़ कहां से आ गई? इन उपद्रवियों में ज्यादातर युवा थे और उनके चेहरे ढके हुए थे। पुलिस जांच कर रही है कि क्या भीड़ को किसी संगठन या शख्स ने उकसाया या कोई अफवाह फैलाकर भड़काया गया?
हिंसा सिर्फ महाल और चिटनिस पार्क तक सीमित नहीं थी, बल्कि अलग-अलग इलाकों में भी युवकों ने हाथों में पत्थर और पेट्रोल बम लेकर हमले किए।
- क्या यह सब पहले से प्लान था?
- भीड़ को निर्देश कौन दे रहा था?
- किन इलाकों को टारगेट बनाने की साजिश थी?
पुलिस इन सभी सवालों के जवाब खोज रही है।
हिंसा में कुछ खास घरों को टारगेट किया गया। पुलिस को इस बात के सबूत मिले हैं कि कुछ घरों पर पेट्रोल डालकर आग लगाने की कोशिश हुई थी। सवाल यह भी है कि क्या किसी खास समुदाय को निशाना बनाने की साजिश थी?
हिंसा में उपद्रवियों के पास ईंट, पत्थर और पेट्रोल बम थे। पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि:
- ये सामान कहां से जुटाए गए?
- क्या किसी समूह ने इन्हें पहले से इकट्ठा किया था?
- क्या हमले की साजिश पहले से रची गई थी?
हिंसा में 25 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें 5 की हालत गंभीर बताई जा रही है। पुलिसकर्मियों पर हथियारों से भी हमले की खबरें आई हैं। क्या भीड़ पुलिस को निशाना बनाने के इरादे से आई थी? क्या इन उपद्रवियों के पास पहले से हथियार मौजूद थे? यह भी जांच का विषय है।
पुलिस अब यह भी देख रही है कि:
- क्या सोशल मीडिया के जरिए हिंसा भड़काई गई?
- क्या भीड़ को किसी खास संदेश के जरिए उकसाया गया?
- क्या हिंसा के लिए कोई ऑनलाइन अपील की गई थी?
पुलिस इस दिशा में भी जांच कर रही है। सीसीटीवी फुटेज और सोशल मीडिया चैट्स की जांच की जा रही है ताकि हिंसा के असली गुनहगारों तक पहुंचा जा सके।