उत्तर प्रदेश को अपना नया पुलिस महानिदेशक (DGP) मिल गया है। 1991 बैच के IPS अधिकारी राजीव कृष्ण को यूपी पुलिस का कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया है। ये यूपी में लगातार पांचवां मौका है, जब कोई ऑफिसर कार्यवाहक डीजीपी बना है। राजीव कृष्ण अपने हाईटेक पुलिसिंग के दम पर पहले भी सुर्खियां बटोर चुके हैं। आइए, जानते हैं कि कौन हैं राजीव कृष्ण, कहां से आते हैं, और कैसे बने वो यूपी पुलिस के नए बॉस।
कौन हैं राजीव कृष्ण?
26 जून 1969 को गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) में जन्मे राजीव कृष्ण ने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में बीई की डिग्री हासिल की है। उनके पिता का नाम एचके मित्तल है। 1991 में UPSC पास कर उन्होंने IPS जॉइन किया और तब से यूपी पुलिस में कई बड़े रोल निभा चुके हैं। अभी तक वो डीजी विजिलेंस और यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड के चेयरमैन की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
पेपर लीक के बाद संभाली भर्ती बोर्ड की कमान
पिछले साल मार्च 2024 में यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में पेपर लीक का बड़ा बवाल मचा था। विपक्ष ने योगी सरकार को जमकर घेरा था। इसके बाद राजीव कृष्ण को यूपी पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। उनके नेतृत्व में बोर्ड ने नई भर्ती परीक्षा को बिना किसी गड़बड़ी के करवाया, जिसने उनकी काबिलियत को और चमकाया।
आगरा में SSP के तौर पर बने थे ‘हीरो’
राजीव कृष्ण ने 2004 में आगरा के SSP रहते हुए खूब वाहवाही बटोरी थी। उस वक्त उन्होंने अपराधियों और बीहड़ों में सक्रिय किडनैपिंग गिरोहों के खिलाफ जबरदस्त अभियान चलाया। उनकी सख्ती और रणनीति ने अपराधियों में खौफ पैदा कर दिया था, और वो रातोंरात चर्चा में आ गए।
हाईटेक पुलिसिंग के सुपरस्टार
यूपी पुलिस में राजीव कृष्ण को हाईटेक पुलिसिंग का उस्ताद माना जाता है। ADG रहते हुए उन्होंने ‘ऑपरेशन पहचान’ ऐप लॉन्च किया, जिससे अपराधियों को ट्रैक करना आसान हो गया। इसके अलावा, महिला बीट और एंटी-रोमियो स्क्वॉड की ऑनलाइन मॉनिटरिंग को भी इस ऐप में जोड़ा गया। साइबर क्राइम पर नकेल कसने में भी वो माहिर हैं। उन्होंने ई-मालखाना सिस्टम शुरू किया, जिसमें मुकदमों का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाता है। ये सब उनकी टेक्नोलॉजी-ड्रिवन पुलिसिंग की मिसाल हैं।
यूपी ATS के पहले चीफ, BSF में भी दिखाया दम
राजीव कृष्ण ने मथुरा, इटावा, आगरा, नोएडा और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में SP और SSP के तौर पर काम किया है। खास बात ये कि वो यूपी की एंटी-टेरर स्क्वॉड (ATS) के पहले डीआईजी थे, जिसने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अहम रोल निभाया। इतना ही नहीं, उन्होंने 4 साल तक BSF में IG (ऑपरेशंस) के तौर पर भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर ऑपरेशंस को लीड किया।