मुंबई: #MeToo अभियान ने आजकल राजनीति से लेकर सिनेमा जगत के नामचीनों को निशाने पर ला दिया है. महिलाओं ने सेलीब्रिटीज पर यौन उत्पीड़न या उसकी कोशिश के आरोप लगाए हैं. इन्हीं सबके बीच सरकारी आंकड़े बताते हैं कि साल 2014 से 2017 के बीच संस्थानों में नौकरी करने वाली महिलाओं के यौन उत्पीड़न की घटनाओं में इजाफा हुआ है, लेकिन ज्यादातर महिलाएं अपनी नौकरी गंवाने का खतरा देखते हुए चुप रहीं.
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लोकसभा में सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में इस तरह के 371 मामले दर्ज हुए थे. जबकि, 2017 में यौन उत्पीड़न के 570 मामले दर्ज हुए. यानी इन मामलों में 54 फीसदी का इजाफा देखा गया. 27 जुलाई 2018 तक यौन उत्पीड़न के कुल 2535 मामले पुलिस ने दर्ज किए. 2018 में ही जुलाई तक यौन उत्पीड़न के 533 मामले दर्ज हो चुके थे.
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आंकड़े बताते हैं कि 2014 से 2018 के बीच यौन उत्पीड़न के 726 मामले दर्ज हुए. जो पहले के मुकाबले 29 फीसदी ज्यादा हैं. इसके बाद 369 मामलों के साथ दिल्ली, 171 मामलों के साथ हरियाणा, 154 मामलों के साथ मध्यप्रदेश और 147 मामलों के साथ महाराष्ट्र का नंबर आता है.वहीं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार महिलाओं से अश्लीलता के मामलों की जानकारी दी गई है. साल 2016 में ऐसे 665 मामले हुए. जबकि, 2015 में 833 और 2014 में 526 मामले पुलिस ने दर्ज किए थे.
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इंडियन बार एसोसिएशन ने साल 2017 में एक सर्वे कराया था. अंग्रेजी वेबसाइट इंडिया स्पेंड के अनुसार इस सर्वे में यौन उत्पीड़न या अश्लीलता के मामलों में 70 फीसदी महिलाओं ने बताया कि वे अपने अफसरों की इस हरकत के बारे में छिपा जाती हैं. इसकी वजह ये है कि उन्हें इसका खामियाजा भुगतने का अंदेशा रहता है.