चेन्नई: तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक सरकार को बड़ी राहत देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पिछले साल अन्नाद्रमुक के 18 विधायकों को अयोग्य करार देने के फैसले को बरकरार रखा है, जिससे 20 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव के लिए मार्ग प्रशस्त हो सकता है. इन 20 सीटों में से दो विधायकों के निधन के बाद सीट खाली हुई है.
दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा खंडित फैसला सुनाए जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नामित तीसरे न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायणन ने विधानसभा अध्यक्ष पी. धनपाल के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि ऐसा दल बदल कानून के प्रावधानों के तहत किया गया है और इन विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनावों पर लगी रोक हटा ली गई है.
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फैसले के अपने हिस्से को पढ़ने से पहले न्यायमूर्ति सत्यनारायणन ने पाया कि वह अपने समक्ष प्रस्तुत की गई बहस पर अपना फैसला स्वतंत्र रूप से देने जा रहे हैं. इससे पहले मुख्य न्यायाधीश इंद्रानी बनर्जी और न्यायमूर्ति एम. सुंदर ने खंडित फैसला सुनाया था. बनर्जी ने अध्यक्ष के फैसले को बरकरार रखा था तो न्यायमूर्ति सुंदर ने इसे खारिज कर दिया था.
अगर अयोग्य विधायक अपनी अयोग्यता के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाते और उपचुनावों पर रोक की मांग नहीं करते हैं तो न्यायमूर्ति सत्यनारायणन का गुरुवार को दिया गया फैसला उपचुनावों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा. अयोग्य ठहराए गए विधायक पार्टी से किनारे किए गए नेता टी.टी.वी. दिनाकरण के साथ हैं. दिनाकरण अब तमिलनाडु विधानसभा के निर्दलीय विधायक हैं. फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए दिनाकरण ने संवाददाताओं को बताया, “हम 18 विधायकों के साथ चर्चा करेंगे और भावी कदम पर फैसले लेंगे.” उन्होंने कहा कि ‘यह हमारे लिए एक अनुभव है.’
दिनाकरण ने कहा, “अगर 18 अयोग्य विधायक फैसले के खिलाफ अपील करने का फैसला करते हैं तो हम अपील के लिए आगे बढ़ेंगे.” शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति विमला की जगह न्यायमूर्ति सत्यनारायणन को नियुक्त किया था. जून में मामले पर खंडित फैसला आने के बाद उच्च न्यायालय ने मूल रूप से न्यायमूर्ति विमला को बतौर तीसरे न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया था.
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फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए द्रमुक के अध्यक्ष स्टालिन ने कहा कि 20 विधानसभाओं के लिए उपचुनाव तुरंत कराए जाने चाहिए. मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के बाद 18 अयोग्य विधायकों के वकील एन. राजा सेंथूर ने संवाददाताओं से कहा कि हमारे पास तीन विकल्प हैं, सर्वोच्च न्यायालय में अपील करें, उप-चुनावों का सामना करें या अपील को प्राथमिकता दें और उपचुनावों का सामना करें.
पीएमके के प्रवक्ता एन. विनोभा ने कहा कि निर्वाचन आयोग को थिरुपरनकुन्द्रम और तिरुवरुर विधानसभा क्षेत्रों के लिए उपचुनाव फरवरी 2019 तक कराने चाहिए. पीएमके एक योजना के मुताबिक उपचुनावों में हिस्सा नहीं लेंगी. यह पूछने पर कि क्या 20 सीटों पर एक साथ उपचुनाव कराने की स्थिति में पार्टी क्या इसी योजन पर आगे बढ़ेगी, जिस पर विनोभा ने कहा, “यहां दो स्थिति हैं. उपचुनाव अलग अलग या लोकसभा चुनाव के साथ कराए जा सकते हैं. पार्टी आलाकमान इसपर फैसले लेगी.”