12 साल बाद लगता है कुंभ का मेला, जानिए कुंभ से जुड़ी कुछ रोचक बातें
देशवासियों को कुंभ के मेले का बड़ी बेसबरी से इंतजार होता है. और इस साल का कुंभ मेला संगम नगरी प्रयागराज में लग चुका है. कुंभ को लेकर देशवासियों में उत्साह का माहौल बना हुआ है.
देश भर से साधु संतों के अखाड़ों के पेशवाई रोजाना कुंभ की रौनक बढ़ा रही है. आपको बता दें कि कुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है. चलिए आपको बताते हैं कुंभ से जुड़ी कुछ रोचक बातें जो बहुत कम लोगों को पता होती है.
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नागा साधुओं का स्नान
सबसे पहले कुंभ में नागा साधु स्नान करते हैं। धर्म के रक्षक होने के नाते नागा साधुओं को पहले स्नान का मौका मिलता है.
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नदी का बढ़ता जलस्तर
कुंभ लगने पर नदी का जल स्तर बढ़ जाता है. ऐसी मान्यता है कि देवी-देवताओं, पितरों के जल में प्रवेश करने से ऐसा होता है.
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14 आखाड़ों की पेशवाई
वैसे तो कुंभ में केवल 13 अखाड़ों की पेशवाई होती है. लेकिन कुंभ 2019 में एक और अखाड़ा बढ़ गया है. 14वां अखड़ा किन्नर अखाड़ा है.
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महाकुंभ 144 साल बाद
कुंभ का आयोजन 4 स्थानों पर होता है. प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन. अर्द्ध कुंभ सिर्फ 2 स्थानों पर ही लगता है, पहला हरिद्वार दूसरा प्रयागराज. महाकुंभ 144 साल बाद आयोजित होता है जो केवल प्रयागराज में लगता है.
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सम्राट हर्षवर्धन और कुंभ
पौराणिक ग्रंथों में कुंभ का संबंध सागर मंथन से माना जाता है, लेकिन कुंभ का वर्तमान स्वरूप देने वाले हिंदू सम्राट हर्षवर्धन माने जाते हैं. बता दें कि शंकराचार्य ने कुंभ के नियम बनाए और यह साधु-संतों के सम्मेलन का केंद्र बन गया है.
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सूर्य, चंद्रमा, गुरू और शनि तय करते है कुंभ
कुंभ के आयोजन में सूर्य, चंद्रमा, गुरू और शनि इन ग्रहों का विशेष मह्तव होता है. इन्हीं की स्थिति के अनुसार कुंभ के आयोजन का निर्णय होता है.
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स्वर्ग और पृथ्वी पर एक साथ कुंभ
धार्मिक मान्यता के अनुसार महाकुंभ जब पृथ्वी पर लगता है उस समय स्वर्ग में भी कुंभ आयोजित होता है.
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साधु संत और श्रद्धालुओं का मेला
कुंभ का आयोजन प्रयाग में मकर संक्राति से लेकर महाशिवरात्रि तक करीब 50 दिनों तक चलता है. इस दौरान देश भर के साधु-संत और श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.