जापान में मुफ्त किराए के बाद भी 1 करोड़ से ज्यादा घर खाली, रहने वाला कोई नहीं
रोजगार की तलाश में लोग गांवो को छोड़कर शहरों में जाते है. यह लगभग हर देश की कहानी है.जापान भी इससे अछूता नहीं है. जापान में इस समस्या के कारण खाली घरों की संख्या बढ़ती जा रही है. जापान की राजधानी टोक्यो के आसपास के इलाके खाली हो रहे हैं. क्योंकि लोग नौकरी की तलाश में शहरों में बसना चाहते हैं.
जापान में घरों को खाली छोड़ने घोटाला करने जैसा माना जाता है. जापान पॉलिसी फोरम के मुताबिक की मुताबिक देश में 6.1 करोड़ मकान हैं. जबकि घरों पर मालिकाना हक महज 5.2 करोड़ लोगों के पास है. ग्रामीण इलाकों के इन खाली घरों को भुतहा घर (अकिया) कहा जाता है. माना जा रहा है कि 2040 तक जापान में ऐसे 900 कस्बे और गांवों हो जाएंगे जिसमें को नहीं रहता होगा.
जापान के इन खाली पड़े भुतहा घर को दोबारा से बसाने के लिए 2014 में अकिया बैंक प्रोजेक्ट शुरू किया गया. इसमें ओकुतामा में 100 वर्गमीटर का एक मकान महज 6 लाख रुपए में मिल सकता है. इन इलाकों में घरों को मुफ्त में रेनोवेशन का ऑफर भी दिया गया. इसके लिए शर्त रखी गई कि जो घर लेना चाहता है उसकी उम्र 40 साल से कम हो या फिर उसके बच्चे की उम्र 18 साल से कम हो.
अकिया को लेकर जापान 2015 में एक कानून भी बना. जापान सरकार ने कानून बनाया कि अगर कोई घर खाली छोड़कर चला जाएगा तो उसे जुर्माना देना होगा. साथ ही जो घर छोड़ने वाले लोगों को विकल्प भी दिया गया कि तो वे घर को तोड़ दें या उसे और विकसित कर लें.