जानें कौन हैं अजय राय? जिन पर कांग्रेस को प्रियंका गांधी से ज्यादा भरोसा है

नई दिल्ली: कई दिनों के सस्पेंस के बाद आखिरकार कांग्रेस ने वाराणसी से अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया है. प्रियंका गांधी की हां और पार्टी की न के बाद एक बार फिर अजय राय को पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रत्याशी घोषित किया गया है. बता दें कि पांच बार के विधायक रहे अजय राय 2014 का चुनाव भी पीएम मोदी के खिलाफ लड़ चुके हैं. तो आइए जानते हैं अजय राय के राजनीतिक इतिहास के बारे में…

कांग्रेस विधायक अजय राय ने अपनी राजनीति पारी की शुरुआत बीजेपी से की थी. वह बीजेपी की यूथ विंग के सदस्य थे. साल 1996 में बीजेपी ने उन्हें वाराणसी की कोलसला विधासनभा सीट चुनावी मैदान में उतारा गया. उन्होंने सीपीआई विधायक उदल को 484 वोटों के अंतर से हराया था. उदल यहां से नौ बार विधायक रह चुके थे. इसके बाद अजय ने इसी सीट से 2002 और 2007 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

साल 2009 में अजय राय ने एक बार फिर वाराणसी लोकसभा सीट से टिकट की मांग की. लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इससे नाराज होकर अजय ने पार्टी से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. सपा ने उन्हें वाराणसी से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. यहां उनका मुकाबला बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी से हुआ जिसमें वह तीसरे स्थान पर रहे. अजय राय को इस चुनाव में 1.23 लाख वोट मिले थे. जबकि दूसरे नंबर पर बसपा के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी थे.

अपनी हार के बाद अजय राय ने सपा का दामन छोड़ दिया और अपनी पारंपरिक सीट कोलासला से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा का उपचुनाव लड़ा. यहां से अजय ने जीत हासिल करके कांग्रेस का हाथ थाम लिया. साल 2012 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अजय को पिंडरा सीट से टिकट दिया. यहां पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अजय राय को महज 75 हजार वोट मिले और उनकी जमानत तक जब्त हो गई. इसके बाद 2017 विधानसभा में फिर वह कांग्रेस के टिकट पर पिंडरा सीट से उतरे और बीजेपी प्रत्याशी अवधेश सिंह से हार गए.

अवधेश सिंह के मुकाबले इस चुनाव में अजय राय 48 हजार वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अजय राय पर विश्वास जताया है और उन्हें फिर वाराणसी लोकसभा सीट से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में उतारा है. यहां से महागठबंधन की प्रत्याशी शालिनी यादव हैं.

Previous articleकिरण खेर ने चंडीगढ़ से भरा पर्चा, उत्तराखंड के सीएम और पति अनुपम खेर रहे मौजूद
Next articleअखिलेश के ये तीन ट्वीट बीजेपी को कर रहे ट्रॉल