अखिलेश-माया दिखा रहे हैं गजब की अंडरस्टैंडिंग, रामजी लाल सुमन बने इसकी नज़ीर
लखनऊ : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सीट बंटवारे का फ़ार्मूला तय होने के साथ ही अखिलेश यादव और मायावती के बीच अंडरस्टैंडिंग का स्तर भी ज़ाहिर हुआ है. हालांकि गठबंधन उम्मीदवारो की घोषणा अभी नहीं हुई है मगर हाथरस लोकसभा सीट इस बात की मिसाल बताई जा रही है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी नेतृत्व ने सिर्फ़ जीत को अपना लक्ष्य बनाया है.
इस सीट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामजी लाल सुमन का नाम फ़ाइनल माना जा रहा है जबकि पिछ्ले चुनाव में हाथरस से बसपा उम्मीदवार दूसरे नम्बर पर रहा था.
रामजी लाल सुमन समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं. लंबे वक़्त से पार्टी के महासचिव हैं.पहली दफ़ा सन 77 के लोकसभा चुनाव में फ़िरोज़ाबाद से जीते थे. कई बार के सांसद रामजी लाल सुमन का सपा में काफ़ी बड़ा कद है, पिछले लोकसभा चुनाव में वो अपनी सीट हाथरस पर जीत नहीं सके थे.
यहां बसपा उम्मीदवार मनोज सोनी दूसरे नम्बर पर रहे थे. ऐसे में सपा के इस कद्दावर नेता को लेकर तमाम तरह के कयास लग रहे थे. बसपा सूत्रों के मुताबिक मनोज सोनी को आगरा शिफ़्ट किया जा रहा है जबकि सुमन जी अपनी परम्परागत सीट हाथरस से ही मैदान में उतरेंगे.
हाथरस को सपा के कोटे में रखा गया है. यह सपा मुखिया और बसपा सुप्रीमो की आपसी समझ बूझ का एक उदाहरण है. उम्मीवार निर्धारण और सीट बंटवारे में किसी किस्म का कोई अहं आड़े नहीं आया है. अखिलेश यादव का राष्ट्रीय लोक दल को संतुष्ट करना भी इसी कड़ी का एक नतीजा है.
मायावती ने हाथरस जैसी सीटो पर अखिलेश का मान रखा है तो अखिलेश ने सपा के सिंबल पर आरएलडी का उम्मीदवार स्वीकार कर लिया. आरएलडी चार सीट लेने पर अड़ी हुई थी, मायावती का रुख इसको लेकर ज़रा सख्त था. ऐसे में अखिलेश ने बीच का रास्ता निकालकर सबको संतुष्ट कर दिया. बताया जा रहा है कि ऐसा सभी सीटो पर देखने को मिलेगा.
पिछले चुनाव में हाथरस में बसपा दूसरे नंबर पर रही थी, उसके बावजूद भी बसपा ने यहां से अपना कैंडिडेट हटा लिया है, जो अखिलेश-माया की आपसी अंडरस्टैंडिंग साबित करती है. पिछले चुनाव में हाथरस में बसपा रणर-अप थी, जिसको देखते शुरू में यहां फिर से मनोज सोनी को प्रत्याशी बनाने की चर्चाएं जोरों पर थीं. डेढ़ महीने पहले मनोज सोनी को आगरा से लोकसभा क्षेत्र प्रभारी घोषित होने के बाद जिले के चुनावी समीकरण बदल गए. लेकिन यहां सपा का दावा मजबूत हुआ और रामजीलाल सुमन को यहां से प्रत्याशी चुने गए.
हाथरस और मुजफ्फरनगर में रणर-अप रहने के बावजूद बसपा ने अपनी सीटें छोड़ी. वहीं, सपा भी नोएडा, हापुड़, अमरोहा, बिजनौर और नगीना के अलावा बागपत में रणर-अप रहने के बावजूद भी अपसी समझदारी दिखाते हुए इन सीटों को बसपा को सौंप दिया.