लखनऊः यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को एक ट्वीट कर कहा कि 68,500 शिक्षकों की भर्ती में सीटें तुरंत भरे जाने व अनियमितताओं के खिलाफ जब अभ्यर्थी आवाज उठा रहे हैं तो भाजपा सरकार उन्हें प्रताड़ित कर रही है. प्रदेश के बेबस बेरोजगार युवाओं के साथ अपमानजनक व्यवहार सत्ता के अहंकार में डूबे भाजपा नेताओं की आदत बन गई है.
शिक्षक और दारोगा भर्ती के अभ्यर्थियों ने अखिलेश को संबोधित एक ज्ञापन सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी को सौंपा और राज्य की भाजपा सरकार द्वारा उनके साथ किए जा रहे सौतेले व्यवहार की शिकायत की. चौधरी ने शिक्षक अभ्यर्थियों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने की निंदा की और कहा कि यह सरकार नौजवानों को अंधेरे में ढकेल रही है. समाजवादी पार्टी उनकी मांगों को उचित मानती है.
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ज्ञापन में शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रतिनिधि तूफान सिंह यादव, शशांक पाल, गोपाल यादव द्वारा कहा गया कि 68,500 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा 27 मई 2018 में हुई थी. इस भर्ती में हजारों छात्रों की कांपियों का गलत मूल्यांकन कर उन्हें फेल कर दिया गया. कुछ की उत्तर पुस्तिकाएं बदल दी गईं. इस परीक्षा में 41566 छात्र पास हुए. इनमें आरक्षण के नियमों का पालन न करके 5696 सामान्य अभ्यर्थियों को आरक्षण की सीटें आवंटित की जा रही है. ज्ञापन में मांग की गई है कि मूल्यांकन की जांच कराकर 32640 रिक्त सीटें भरी जाएं.
उप्र पुलिस दारोगा भर्ती 2016 के सफल अभ्यर्थियों ने ज्ञापन देकर मांग की है कि दारोगा भर्ती नववर्ष 2011 में हुई थी. इसके बाद भर्ती प्रक्रिया लगभग 2.5 वर्षो से प्रचलन में है. इसके अंतिम चरण सन् 2018 में 6,500 अभ्यर्थी ही सफल हुए. ज्ञापन में मांग की गई है कि दारोगा की कमी को देखते हुए भर्ती प्रक्रिया में पदों की संख्या को 3,307 से बढ़कर सभी 6,500 अभ्यर्थियों को चयनित किया जाए.