2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी से लड़ने के लिए विपक्ष जिस महागठबंधन की कोशिश में लगा हुआ है वो बनने से पहले ही खत्म होता दिख रहा है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस को चेतावनी देते हुए कहा कि, अगर साइकिल को रोकोगे तो आपका हाथ हैंडल से हटा दिया जाएगा.
महागठबंधन की राह नहीं आसान
छत्तीसगढ़ में शानिवार को सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमने भी तय किया है कि साइकिल (समाजवादी पार्टी) को रोकोगे तो आपका हाथ(काग्रेंस) हैंडल से हटा दिया जाएगा. साइकिल का कंट्रोल किसी दूसरे के हाथ में चला जाएगा. अखिलेश यादव का यह बयान एक बात के साफ संकेत देता है कि महागठबंधन की राह उतनी आसान नहीं जितना कांग्रेस सोच के चल रही है.
इससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने पांचो राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होने पर कांग्रसे को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था.
सीटों का बटवारा होगा मुश्किल
उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा ने पहले से ही गठबंधन कर रखा है. कयास लगाए जा रहे है कि आरएलडी भी उनके साथ आ सकती है. शिवपाल यादव ने भी सम्मानजनक सीट मिलने पर गठबंधन में शामिल होने की बात कही है. ऐसे में कांग्रेस को सभी पार्टी को साथ तालमेल बैठाने में काफी मुश्किल हो सकती है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपना रूख पहले ही साफ कर रखा है कि वो सीटों को लेकर कोई समझौता करने के मूड में नहीं है. और इसलिए उन्होंने पांचो राज्यों में कांग्रेस के साथ ना जाकर दूसरे क्षेत्रीय दलों को चुना. अब सबकी नजरे अखिलेश यादव पर है कि वो राज्य में कितनी सीटे लेने के मूड में है.
एक साथ काम करना भी होगा चुनौतीपूर्ण
सभी क्षेत्रिय दल अगर महागठबंधन बना भी लेते है तो ऐसे में सवाल यह भी खड़ा होगा कि क्या जमीन पर काम करने वाला कार्यकर्ता आपस में तालमेल बैठा पाऐंगे. यूपी में देखें को अभी तक सपा का मुख्य वोटबैंक मुस्लिम और यादव थे चाचा शिवपाल के पार्टी से अलग होने के बाद सपा के बहुत से नेता शिवपाल के साथ चल दिए. ऐसे में गठबंधन बनने के बाद सभी का वापस एक साथ आना मुश्किल है.
बुआ बबुआ तो एक होकर लड़ने को राजी हो गए लेकिन क्या मायावती गेस्ट हाउस कांड को भुलाकर शिवपाल यादव के साथ एक मंच पर खड़ी हो सकती है इस पहलू पर भी सबकी नजर बनी रहेगी.