नई दिल्ली: अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के युगपुरुष हैं. वो एक ऐसे राजनेता हैं, जिनका विरोध उनके विरोधी भी नहीं कर पाते हैं. कवि हृदय अटल जी के जीवन का एक और पहलू भी है, जिसपर ज्यादा बात नहीं की जाती है. दरअसल अटल जी एक आदर्श प्रेमी भी रहे, उनका प्रेम विवाह के अंजाम तक नहीं पहुँच पाया मगर उन्होंने आजीवन अपने प्रेम का दामन नहीं छोड़ा, उसे पूरी मैच्योरिटी और गरिमा के साथ जिया. जी हां, अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी कौल का प्रेम कुछ इसी तरह का था.
इन दोनों के संबंधों पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई है, लेकिन सियासत में अटल का समकालीन या अन्य सभी वाकिफ हैं कि राजकुमारी कौल का अटल बिहारी के जीवन में क्या स्थान था. वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी कौल के संबंधों को- देश के राजनीतिक हलके में घटी सबसे सुंदर प्रेम कहानी कहा है.
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वैसे तो अटल और राजकुमारी कौल का संबंध कभी चर्चा का कारण नहीं बना, लेकिन 2014 में जब राजकुमारी कौल की मृत्यु हुई तो माहौल अटल के जीवन में सबसे करीबी सम्बन्धी की मृत्यु जैसा ही था. इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबार ने इस खबर को मिसेज कौल के नाम से राजनीतिक हलकों में पहचाने जाने वाली, राजकुमारी कौल के निधन की खबर को प्राथमिकता से छापा और लिखा- वह अटल जी के जीवन की डोर थीं. उनके घर की सबसे महत्वपूर्ण सदस्य और उनकी सबसे घनिष्ठ मित्र भी थीं.
कुलदीप नैय्यर ने टेलीग्राफ में लिखा था-संकोची स्वभाव की मिसेज कौल अटल की सबकुछ थी. उन्होंने जिस तरह अटल की सेवा की, वह कोई और नहीं कर सकता था. वह हमेशा उनके साथ रहीं. वरिष्ठ पत्रकार गिरीश निकम के हवाले से कई जगह छपा है कि -अटल जी जब प्रधानमंत्री नहीं थे, तब भी मैं उनके घर पर फोन करता था, तो वही फोन उठाती थीं और कहती थीं- मैं मिसेज कॉल बोल रही हूं. गिरीश निकम ने बताया था कि राजुकमारी कौल ने उन्हें अपनी और अटल बिहारी वाजपेयी की दोस्ती के बारे में बताया था. वह और उनके पति बृज नारायण कौल अटल जी के साथ वर्षों से रहते हैं.
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राजकुमारी कौल ने 80 के दशक में एक पत्रिका को इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने यह कहा था कि अटल के साथ अपने रिश्ते को लेकर मुझे कभी अपने पति को स्पष्टीकरण नहीं देना पड़ा, हमारा रिश्ता समझ-बूझ के स्तर पर काफी मजबूत था. बताया जाता है कि अटल जी और राजकुमारी कौल की मुलाकात 40 के दशक में हुई जब दोनों ग्वालियर के एक ही कॉलेज में पढ़ते थे. अटल जी पर लिखी गयी किताब “अटल बिहारी वाजपेयीः ए मैन ऑफ आल सीजंस” के लेखक और पत्रकार किंशुक नाग ने लिखा है – वो ऐसे दिन थे जब लड़के और लड़कियों की दोस्ती को अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता था. इसलिए आमतौर पर प्यार होने पर भी लोग भावनाओं का इजहार नहीं कर पाते थे. मगर युवा अटल ने अपनी भावनाओं के इजहार का फैसला किया. उन्होंने लाइब्रेरी में एक किताब के अंदर राजकुमारी के लिए एक लेटर रखा लेकिन उन्हें उस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला.
वास्तव में राजकुमारी ने जवाब दिया था, जवाब किताब के अंदर ही रखकर अटल के लिए दिया गया था लेकिन वह उन तक नहीं पहुंच सका. प्रेम कहानी और आगे बढ़ती कि इस बीच राजकुमारी के सरकारी अधिकारी पिता ने अपनी बेटी को एक युवा कॉलेज टीचर बृज नारायण कौल के साथ ब्याह दिया. किताब में राजकुमारी कौल के एक परिवारिक करीबी के हवाले से कहा गया कि वास्तव में वह अटल से शादी करना चाहती थीं, लेकिन घर में इसका जबरदस्त विरोध हुआ. हालांकि अटल ब्राह्मण तो थे लेकिन कौल अपने को कहीं बेहतर कुल का मानते थे. राजकुमारी कौल की सगाई के लिए जब परिवार ग्वालियर से दिल्ली आया, उन दिनों यहां 1947 में बंटवारे के दौरान दंगा मचा हुआ था. इसके बाद शादी ग्वालियर में हुई, बृज नारायण बहुत बढ़िया शख्स थे.
अटल ने नहीं की शादी
राजकुमारी कौल की शादी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प ले लिया. उन्होंने राजनीति को अपनाया और आगे बढ़ते चले गए. लेकिन एक-डेढ़ दशक बाद दोनों फिर मिले तब तक अटल बिहारी सांसद हो चुके थे. राजकुमारी दिल्ली आ गयीं, उनके पति दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में फिलॉस्फी के प्रोफेसर थे. बाद में वह इसी कॉलेज के हास्टल के वार्डन बन गए. बाद में पारिवारिक प्रगाढ़ता बढ़ी और अटल उनके साथ रहने आ गए थे.
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मोरारजी देसाई की सरकार में जब अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री हुए तो कौल परिवार लुटियंस जोन में उनके साथ रहता था. मिसेज कौल हमेशा उनके साथ रहीं, लेकिन यह दोनों का बिलकुल निजी रिश्ता था, जिस पर ना उन्होंने कभी कोई बात की और ना लोगों की बातों को हवा दी. मिसेज कौल बहुत ही साधारण तरीके से रहतीं थीं और कभी भी अटल जी के साथ विदेश दौरों पर नहीं जाती थीं. उन्होंने कभी कोई विदेश दौरा भी उनके साथ नहीं किया. यह रिश्ता आजीवन एक गरिमापूर्ण समर्पण के साथ चला, जिसमें ना कोई स्वार्थ था और ना ही कोई अपेक्षा.
किसी बाहरी ने तो नहीं लेकिन जनसंघ में ही अटल के विरोधी बलराज मधोक सरीखे जैसे नेताओं ने इस सम्बन्ध को लेकर अटल जी को घेरने का प्रयास जरूर किया. मिसेज कौल के साथ उनके संबंधों को गलत ढंग से प्रस्तुत भी किया था, ताकि अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत को नुकसान पहुंचे. लेकिन इतिहास गवाह है कि उनके विरोधी कहां रह गए और अटल बिहारी की स्वीकार्यता किस स्तर पर पहुंची. आपसी समझ बूझ के साथ जिए गए उनके इस बेहद खूबसूरत और ईमानदार संबंध पर कोई उंगली नहीं उठा सका. जिस वक्त मिसेज कौल का निधन हुआ, अटल बिहारी वाजपेयी अल्जाइमर रोग से ग्रस्त हो चुके थे. बावजूद इसके मिसेज कौल के अंतिम संस्कार में लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज मौजूद रहे. सोनिया भी अटल के निवास पर पहुंचीं, यहां तक कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उनके अंतिम संस्कार में पहुंचे.
राजकुमारी और बृज नारायण कौल की दो बेटियां हैं. नम्रता और नमिता. बृज नारायण कौल के निधन के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने नमिता को गोद ले लिया था. इन्हीं नमिता कौल भट्टाचार्य ने वाजपेयी को मुखाग्नि दी. नमिता की शादी रंजन भट्टाचार्य से हुई है. अटल के दत्तक दामाद रंजन उनके प्रधानमंत्रित्व काल में काफी चर्चा में रहे थे. नमिता और रंजन की पुत्री निहारिका को भी अटल के निधन पर तस्वीरों में देखा गया. वाजपेयी अपनी नातिन निहारिका से बहुत स्नेह करते थे.