खुल गये केदारनाथ धाम के कपाट….पीएम मोदी के नाम से किया गया रुद्राभिषेक

रुद्रप्रयाग,। हिंदुओं के सबसे बड़े पवित्र धाम केदारनाथ के कपाट बुधवार को खोल दिये गये। सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान के पूजा की प्रक्रिया संपन्न हुई। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते भक्तों की भीड़ नहीं थी। अगले छह महीने तक बाबा केदार का नियमित निवास यहीं होगा। कपाट खुलने के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से रुद्राभिषेक किया गया। आज की कपाट खोलने की प्रक्रिया में मुख्य पुजारी और कुछ प्रशासनिक कर्मचारियों समेत 16 से 20 लोग ही मौजूद रहे। आपको बता दें कि लॉक डाउन के चलते जिला प्रशासन ने इस कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति किसी को नहीं दी है।

केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने कपाट खुलने की परंपरा का निर्वहन किया। जबकि उनके साथ देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधि के तौर पर बीडी सिंह समेत पंचगाई से संबंधित 20 कर्मचारी कपाट खुलने पर यहां पहुंचे। इसके अलावा पुलिस और प्रशासन के करीब 15 लोग यहां मौजूद रहे।

सोशल डिस्टेंसिंग रहे और भीड़ न हो इसके लिए प्रशासन ने किसी को भी केदारनाथ जाने की अनुमति नहीं दी है। इसलिए कपाट खुलने के मौके पर काफी कम संख्या में लोग थे। मंगलवार को जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया था कि कोरोना महामारी के चलते केदारनाथ के कपाट खुलने की परंपरा का सादगी से निर्वहन किया जाएगा, किसी भी दर्शनार्थी को केदारनाथ जाने की अनुमति नहीं दी गई है।

नहीं थी भक्तों की भीड़….इतिहास में पहला मौका
केदारनाथ यात्रा के इतिहास में यह पहला मौका है जब मंदिर के कपाट खुलने के अवसर पर मंदिर परिसर पूरी तरह खाली रहा। इस बार हजारों भक्तों की बम-बम भोले के जयघोष की गूंज की कमी खली। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि जब बाबा केदार के कपाट खुल रहे हों और भक्तों की किसी तरह कमी देखी गई हो।

26 को खोले गये गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट
विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट रविवार को अक्षय तृतिया के मौके पर वैदिक मंत्रोच्चारण व पूजा-अर्चना के साथ श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए। गंगोत्री धाम के कपाट 12:35 व यमुनोत्री के कपाट ठीक दोपहर 12:41 पर खोले गए। दोनो धामों के कपाट खुलने के बाद अगले छह माह तक श्रद्धालु धामों में मां गंगा व यमुना के दर्शनों के भागी बन सकेंगे। हालांकि लॉकडाउन के कारण कपाट खोलते वक्त श्रद्धालु यहां भी नहीं पहुंच सके।

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