भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल को लेकर पीपीपी का जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन

भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने और अलग पूर्वांचल राज्य बनाने की मांग को लेकर मंगलवार को पूर्वांचल पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान पार्टी ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष को तीन सूत्रीय ज्ञापन दिया और यह चेतावनी दी कि जल्द ही उनकी मांगे नहीं मानी गई तो पूर्वांचलवासी आगामी लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

पीपीपी के अध्यक्ष अनूप पांडेय ने कहा कि अभी तक भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में नहीं किया गया है। जबकि भोजपुरी भाषा व लोगों की संख्या देश भर में 30 करोड़ से ज्यादा है। उन्होनें कहा कि यह मांग हम वर्षों से उठाते आ रहे हैं, लेकिन कोई भी सरकार भोजपुरी समाज व भाषा के हित में नहीं सोच रही है।

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पांडे ने कहा कि भोजपुरी के लोग सन 1963 से उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र को विकसित करने के लिए एक अलग पूर्वांचल की मांग रहे है। उन्होंने कहा कि देश में छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड व तेलंगाना जैसे कई छोटे- छोटे राज्य बने, लेकिन अभी तक पूर्वांचल राज्य नहीं बना। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और इसी वजह से पूर्वांचल का विकास नहीं हो पा रहा है।

वहीं पीपीपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष दिलीप भारद्वाज ने कहा देश के बड़े महानगर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई व गुजरात में भोजपुरी के लोगों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। उनके साथ मार-पीट भी की जाती है, लेकिन किसी भी सरकारों को उनकी कोई चिंता नहीं होती। इसलिए हम भोजपुरी लोगों के लिए उनके स्वाभिमान और रक्षा के लिए ‘प्रवासी पूर्वांचल प्रोटेक्शन कानून’ बनाया जाए ताकि भोजपुरी के लोगों के अंदर व्याप्त भय का वातावरण दूर हो सके।

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इस अवसर पर मैथिली- भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष अजीत दुबे, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर के निजी सहायक एच.एन. शर्मा, पीपीपी के हरियाणा प्रदेश के अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह, उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्र के अध्यक्ष संतोष दुबे के अलावा विनोद सिंह, सलीम कुरैशी, संजीव उपाध्याय, नीरज सिंह, दीपक सिंह, भोला वर्मा और चतुर्भुज गिरी ने भी संबोधित किया।

 

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