जनाकांक्षा रैली से कांग्रेस करेगी चुनावी शंखनाद, 29 साल बाद बिहार में रैली

लोकसभा चुनाव की तैयारियों में राजनीतिक पार्टियां जुट गई है. बिहार में कांग्रेस 29 साल बाद रैली करने जा रही है. 3 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में राहुल गांधी की जनाकांक्षा रैली को ऐतिहासिक बनाने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ता दिन-रात एक किए हुए हैं. जनाकांक्षा रैली के सहारे पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी नरेंद्र मोदी की सरकार की विफलताओं को उजागर करेंगे.

जनाकांक्षा रैली में कांग्रेस अध्यक्ष के अलावा कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री व समर्थन करने वाले सहयोगी दलों के नेता भी शामिल होंगे. तैयारी में जुटे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा ने बताया कि कांग्रेस कार्यकर्ता रैली को लेकर उत्साहित हैं. रैली में बड़ी संख्या में जनसमर्थन जुटेगा और देश को संदेश देने का काम करेगा.

पटना के गांधी मैदान में तीन फरवरी को होने वाली कांग्रेस की जनाकांक्षा रैली पर विरोधियों के साथ सहयोगियों की भी निगाहें हैं. रैली की सफलता पार्टी के लिए कई मोर्चो पर मददगार होगी. इससे न सिर्फ बिहार में उसका खोया जनाधार लौटेगा बल्कि यूपी सहित हिंदी पट्टी में इसका संदेश जाएगा. लोकसभा चुनाव में सहयोगियों संग सीटों की सौदेबाजी में भी उसकी ताकत बढ़ेगी. वहीं रैली की असफलता पार्टी के अरमानों पर पानी भी फेर सकती है.

सीटों के लिहाज से यूपी भले ही आगे हो पर राष्ट्रीय राजनीति में बिहार का खास दखल रहा है. यही कारण है कि हिंदी पट्टी में चुनावी शंखनाद को राहुल गांधी ने पाटलिपुत्र की धरती को चुना. तीन दशक बाद राज्य में कांग्रेस फिर करवट लेती दिख रही है. तीन राज्यों की जीत ने हौसला दिया तो पार्टी ने गांधी मैदान में रैली करने की हिम्मत दिखाई है. तीन फरवरी को होने वाली कांग्रेस की जनाकांक्षा रैली असल में पार्टी का शक्ति प्रदर्शन है.

सहयोगियों की भी टिकी निगाहें

पार्टी ने 1989 के बाद अकेले दम पर इस रैली का ऐलान करके विरोधियों के साथ ही सहयोगियों को भी यह जताने का प्रयास किया है कि उसे हल्के में न आंका जाए. कांग्रेस ने इसीलिए सहयोगी दलों के सिर्फ बिहार के नेताओं को ही न्योता दिया है. किसी से भीड़ लाने की अपेक्षा नहीं की गई है. इस शक्ति प्रदर्शन पर एनडीए की निगाहें जमीं है. साथ ही महागठबंधन के दलों की नजरें भी टिकी हैं. असल में कांग्रेस का यदि जनाधार लौटा तो उसका सीधा असर विरोधियों के साथ ही सहयोगी दलों पर भी पड़ेगा.

सीट सौदेबाजी को बढ़ेगी ताकत

महागठबंधन में अभी सीटों का बंटवारा होना बाकी है. यह रैली के ठीक बाद होगा. पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि रैली की सफलता महागठबंधन में उसकी ताकत बढ़ाएगी. पार्टी की मांग बिहार में 15 सीटों की है मगर सूत्रों का कहना है कि दर्जनभर सीटों तक बात बन सकती है. बीते कुछ समय में कांग्रेस में तमाम नए लोग शामिल हुए हैं तो कइयों ने घर वापसी की है. पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर, पूर्व विधायक रघुनंदन मांझी सहित कई और नाम हैं. प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा कहते हैं कि पुराने कांग्रेसियों को फिर जोड़ने के लिए पार्टी ने ‘आ घर लौट चलें’ का नारा बुलंद किया है.

उधर, पार्टी ने रैली की सफलता को ताकत झोंक दी है. भीड़ जुटाने को किसी से भी परहेज नहीं किया जा रहा. मोकामा विधायक अनंत सिंह सहित तमाम ऐसे लोगों की मदद ली जा रही है, जो अभी पार्टी में नहीं हैं.

तैनात रहेंगे सुरक्षा बल

कांग्रेस की जनाकांक्षा रैली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गांधी मैदान जाने वाले रास्ते को डायवर्ट कर दिया गया है और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. 642 जवानों व 182 अधिकारियों को लगाया गया है. किस अधिकारी और जवान की कहां ड्यूटी रहेगी, इसकी जानकारी उन्हें दे दी गई है. रैली में भारी तादाद में वाहन आएंगे, इसके लिए वेटनरी कॉलेज से जीरोमाइल तक कुल 17 पार्किंग स्थल बनाए गए है, जहां छोटे व बड़े 3300 वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था की गई है. वहीं पार्किंग स्थलों पर दोनों पालियों में 98 जवान और 34 अधिकारियों को लगाया गया है.

भट्टाचार्य चौराहा से उत्तर गांधी मैदान की ओर पासधारक या प्रशासनिक वाहनों को छोड़कर शेष गाड़ियां नहीं चलेंगी. इसी तरह न्यू डाकबंगला से एसपी वर्मा रोड पर केवल प्रशासनिक व पासधारक वाहनों को जाने की अनुमति होगी. गोविंद मित्रा रोड मोड़ से पश्चिम की ओर कारगिल चौक तक केवल पासधारक व प्रशासनिक वाहनों का आवागमन होगा. ठाकुरबाड़ी मोड़ से पश्चिम गांधी मैदान की ओर पासधारक और प्रशासनिक वाहनों के चलने की अनुमति होगी. आईएमए हॉल से गांधी मैदान की ओर किसी भी तरह के वाहन के परिचालन पर रोक रहेगी.

 

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