10% आरक्षण को डीएमके ने बताया संविधान के खिलाफ, HC में दायर की याचिका

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) ने केंद्र सरकार के सवर्ण जाति के 10 फीसदी आरक्षण के फैसले के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दर्ज कराई है. ये याचिका डीएमके पार्टी संगठन के सचिव आरएस भारती ने दर्ज कराई गई. डीएमके का कहना है कि सवर्ण जाति को 10 फीसदी आरक्षण देना संविधान के नियमों के खिलाफ है.

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आरएस भारती ने 22 पन्नों की याचिका फाइल की है, जिसमें उन्होंने 10 बिंदुओं पर फोकस किया है. बता दें कि डीएमके प्रमुख स्टालिन भी इस आरक्षण के खिलाफ संसद में वोटिंग से पहले विरोध कर चुके हैं और विधेयक को सिरे से खारिज कर दिया था. इसके अलावा, संसद में भी डीएमके सांसद एम के कनिमोझी ने मुखर रूप से इस बिल का विरोध किया था और इतना ही नहीं वोटिंग के दौरान सदन से वॉक आउट भी किया था.

ये भी कर चुके हैं विरोध

गौरतलब  है कि सवर्णों के 10 फीसदी आरक्षण पर सिर्फ डीएमके ही नहीं बल्कि दिल्ली के एनजीओ भी इसका विरोध कर चुके हैं हैं और आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका फाइल की थी. एनजीओ ने संविधान संशोधन पर रोक लगाने की मांग की थी. एनजीओ ने 1992 में हुए इंदिरा साहनी केस को संविधान संशोधन को रोकने का आधार बनाया था.

गौर हो कि संसद में केंद्र सरकार के सवर्ण जाति के 10 फीसदी आरक्षण विधेयक पर सभी विपक्षी दलों ने इसके पक्ष में वोट किया था लेकिन लोकसभा चुनावों से ठीक पहले इस फैसले को दलों ने एक लोकलुभावन कदम भी बताया था.

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