एक देश-एक चुनाव के विचार को धरातल पर उतारने के लिए जिस सूत्र पर सरकार विचार कर रही है। इसके तहत एक देश दो चुनाव कराया जा सकता है। इस योजना के पहले चरण में उन राज्यों को शामिल किया जा सकता है जहां सरकार ढाई साल से अधिक चल चुकी है। ऐसे राज्यों में 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव कराया जाए।
दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल सहित जिन राज्य सरकारों का कार्यकाल अभी ढाई साल से कम हुआ है, उनके कार्यकाल को 2029 के लोकसभा चुनाव तक विस्तार दिया जा सकता है। इस तरह 2029 तक एक देश-एक चुनाव प्रणाली पूरी तरह लागू हो सकती है। ऐसा कराने के लिए सरकार कानूनी पहलुओं पर विचार कर रही है।
केंद्र सरकार जिस तरह से एक देश एक चुनाव की प्रणाली का अपनाने पर विचार कर रही है। इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा। इसके बाद ही इसे लागू किया जा सकता है। यह व्यवस्था कब और कैसे लागू होगी। इसका फैसला सरकार को लेना है। फिलहाल इसके लिए पूरी तरह से मसौदा तैयार कर लिया गया है।
विधि आयोग के अनुसार यदि 50 फीसदी राज्य संशोधनों स्वीकार करें तो आसानी से एक साथ चुनाव हो सकता है। जस्टिस जीवन रेड्डी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ा या घटाकर चुनाव कराए जा सकते हैं। विधि आयोग ने पहले ही कहा है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के साथ संवैधानिक संशोधन करने होंगे। राज्य के दो-तिहाई सदस्य राजी हों तो संबंधित राज्य इस प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं।
2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से देश में एक साथ सभी चुनाव कराने की दिशा में पहल शुरू हुई। 2015 में विधि एवं न्याय मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने 79 वीं रिपोर्ट में दो चरण में एक देश-एक चुनाव को धरातल पर उतारने की वकालत की थी। 2018 में लॉ कमीशन एक ड्राफ्ट भी जारी कर चुका है।
1- मध्य प्रदेश
2- राजस्थान
3- तेलंगाना
4- छत्तीसगढ़
5- तेलंगाना
6- आंध्र प्रदेश
7- झारखंड
8- ओडिशा
9- सिक्किम
10-अरुणाचल प्रदेश
11-हरियाणा
12-महाराष्ट्र
13-झारखंड
14-दिल्ली
15-बिहार
(इन राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल 2023 से 2025 तक पूरा होना है)