अजीत जोगी का 74 साल की उम्र में निधन, ऐसा था जोगी का डीएम से सीएम बनने का सफर

नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रमुख अजीत जोगी का आज निधन हो गया। वे 74 वर्ष के थे। कार्डियक अरेस्ट आने के बाद 20 दिनों से अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। अजीत जोगी के निधन से उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके परिवार में पत्नी रेणु जोगी और बेटे अमित जोगी हैं। नौकरशाह से नेता बने अजित जोगी को इस महीने की शुरुआत में कार्डियक अरेस्ट हुआ था। वह करीब 20 दिन से रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती थे।

अजीत जोगी के बेटे अमित ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार शनिवार को उनकी जन्मभूमि गौरेला में होगा। रायपुर स्थित श्री नारायणा अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉक्टर सुनील खेमका ने बताया कि 74 वर्षीय जोगी ने दोपहर बाद 3.30 बजे अंतिम सांस ली। खेमका ने बताया कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रमुख अजीत जोगी की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें नौ मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब से उनकी हालत नाजुक थी। आज दोपहर बाद उन्हें लगभग डेढ़ बजे दिल का दौरा पड़ा और उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई।

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अमित जोगी ने पिता के निधन पर ट्वीट कर दुख जताते हुए लिखा, ”वेदना की इस घड़ी में मैं निशब्द हूं। परम पिता परमेश्वर माननीय अजीत जोगी जी की आत्मा को शांति और हम सबको शक्ति दे। उनका अंतिम संस्कार उनकी जन्मभूमि गौरेला में कल होगा।” अमित ने आगे लिखा, ”20 वर्षीय युवा छत्तीसगढ़ राज्य के सिर से आज उसके पिता का साया उठ गया। केवल मैंने ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ ने नेता नहीं, अपना पिता खोया है। माननीय अजीत जोगी जी ढाई करोड़ लोगों के अपने परिवार को छोड़ कर, ईश्वर के पास चले गए।गांव-गरीब का सहारा, छत्तीसगढ़ का दुलारा, हमसे बहुत दूर चला गया।”

जोगी ने कहा था.. वास्तविक सत्ता तो तीन ही लोगों के हाथ में है – डीएम, सीएम और पीएम

अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रोबेशनर अधिकारी के तौर पर जब अजीत जोगी और उनका बैच तत्कालीन प्रधानमंत्री से मिला तो एक सवाल के जवाब में इंदिरा गांधी ने कहा, ‘‘भारत में वास्तविक सत्ता तो तीन ही लोगों के हाथ में है – डीएम, सीएम और पीएम।’’ तब से युवा जोगी ने ठान लिया था कि उन्हें सीएम बनना है। जब वह मुख्यमंत्री बनने में सफल हो गए तो एक बार आपसी बातचीत में उन्होंने टिप्पणी की कि हमारे यहां (भारत में) ‘‘सीएम और पीएम तो कुछ लोग (एच डी देवेगौड़ा, पी वी नरसिंहराव, वी पी सिंह और उनके पहले मोरारजी देसाई) बन चुके हैं, पर डीएम और सीएम बनने का सौभाग्य केवल मुझे ही मिला है।’’

जोगी का डीएम से सीएम बनने का सफर

छात्र जीवन से ही मेधावी वक्ता रहे जोगी की राजनीतिक पढ़ाई मध्यप्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले अर्जुन सिंह की पाठशाला में हुई थी। नौकरशाह के तौर पर सीधी जिले में तैनाती के दौरान वह अर्जुन सिंह के संपर्क में आए थे। सीधी अर्जुन सिंह का क्षेत्र था और युवा अधिकारी के तौर पर जोगी उन्हें प्रभावित करने में पूरी तरह सफल रहे थे।

बाद में रायपुर में कलेक्टर रहते हुए वह तब इंडियन एअरलाइंस में पायलट राजीव गांधी के संपर्क में आए। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तब जोगी इंदौर में जिलाधिकारी के तौर पर पदस्थ थे और सबसे लंबे समय तक डीएम बने रहने का रिकॉर्ड उनके नाम हो चुका था। जून 1986 में उन्हें पदोन्नति के आदेश जारी हो चुके थे और जोगी इंदौर जिले में उनकी विदाई के लिए हो रहे आयोजनों में व्यस्त थे जब प्रधानमंत्री कार्यालय से उन्हें फोन कर नौकरी से इस्तीफा देने और राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने को कहा गया।

इन बड़े नामों को पछाड़ बने थे छत्तीसगढ़ के सीएम

प्रवक्ता के तौर पर उनकी जो राष्ट्रीय छवि बनी उसने उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाने में काफी मदद की। जोगी जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने तब उनके सामने तीन बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके श्यामा चरण शुक्ल, उनके भाई विद्या चरण शुक्ल और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा जैसे दिग्गज थे। इन सबका दावा खारिज कर सोनिया गांधी ने जोगी को प्राथमिकता दी। जोगी का सबसे बड़ा तर्क होता था कि ‘‘ये लोग कैसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बन सकते हैं, इनमें से कोई भी स्थानीय छत्तीसगढ़ी भाषा में बात नहीं कर सकता।’’

2003 में हार के बाद स्टिंग से विवादों में आए अजीत जोगी

कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद सोनिया गांधी की ओर से की गई यह पहली महत्वपूर्ण नियुक्ति थी। छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए पहले चुनाव 2003 में हुए और जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस यह चुनाव हार गई। मगर, जोगी को तब तक यह गुमान हो चला था कि उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता। इस दौरान हुए एक स्टिंग आपरेशन से पता चला कि वह और उनके बेटे अमित जोगी भाजपा की सरकार गिराने के लिए कथित तौर पर विधायकों को पैसे की पेशकश कर रहे थे।

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इस कांड के छींटे सोनिया गांधी पर भी पड़े और यहीं से जोगी व गांधी परिवार के बीच दूरियां बननी शुरू हुईं। बावजूद इसके किसी विकल्प के अभाव में कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें अगले चुनाव में भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया। लेकिन तब तक यह साफ हो चुका था कि न तो कांग्रेस नेतृत्व जोगी को और सहने के पक्ष में है और न ही जोगी की नेतृत्व में कोई आस्था बची है।

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