राजसत्ता एक्सप्रेस। लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की बदहाली की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर आपने देखी होंगी। ऐसी ही एक तस्वीर की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। जहां एक 15 साल की लड़की अपने घायल पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से बिहार जाती दिखाई देती है। इस बेटी ने करीब एक हफ्ते में पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से बिहार तक का सफर तय किया है। ये लड़की अब अपने गृह नगर दरभंगा पहुंच गई है।
इस बेटी ने करीब एक हफ्ते में साइकिल से 1200 किलोमीटर का सफर तय किया और दरभंगा पहुंची। इस बेटी का नाम ज्योति कुमारी है। उनके पिता मोहन पासवान घायल थे, जिस कारण ज्योति को ही पूरे रास्ते उन्हें साइकिल पर पीछे बिठाकर सफर तय करना पड़ा। ज्योति कक्षा 7 में पढ़ती है। जब ज्योति से उसके इस सफर के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि उसे परे रास्ते केवल यही डर सता रहा था कि कहीं पीछे से कोई गाड़ी टक्कर न मार दे। ज्योति ने बताया कि उसे रात में हाईवे पर साइकिल चलाने में बिल्कुल भी डर नहीं लगा, क्योंकि सैकड़ों प्रवासी मजदूर भी सड़क मार्ग से अपने घर जा रहे थे। हालांकि, कहीं सड़क पर किसी गाड़ी से टक्कर न हो जाए, इससे वो थोड़ी चिंतित जरूर थी।
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साइकिल से पिता और बेटी ने 10 मई को गुरुग्राम से बिहार के लिए यात्रा शुरू की थी। जो 16 मई को अपने गांव पहुंच गए हैं। इस यात्रा के लिए उन्होंने 500 रुपये में साइकिल खरीदी थी। उसने बताया कि गुरुग्राम से दरभंगा पहुंचाने के लिए एक ट्रक ड्राइवर ने उनसे छह हजार रुपये मांगे थे, लेकिन ज्योति के पिता के पास इतने पैसे नहीं थे। ज्योति ने बताया कि उसके पिता के पास पैसे नहीं बचे थे। मकान मालिक पैसे देने या फिर उनके घर को खाली करने के लिए दबाव बना रहा था। इसके बाद उन्होंने साइकिल से अपने घर जाने का फैसला लिया।
बता दें कि गुरुग्राम में ज्योति के पिता ई-रिक्शा चलाते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनको ई-रिक्शा मालिक के पास जमा कराना पड़ गया। इसी दौरान उनके पैर में चोट लग गई। वहीं, दरभंगा अपने गांव पहुंची ज्योति को होम क्वारंटाइन किया गया है, जबति उसके पिता को क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है।