सीएम योगी के मठ गोरखनाथ के मुस्लिम जोगी !

गोरखपुर में गोरक्षपीठ के महंत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले कई दशकों से कट्टर हिंदुत्व के लिए जाने जाते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. गोरखनाथ पीठ से अनेकों धर्मों के लोगों के साथ पीठ से लंबे समय से मुसलमान भी जुड़े हैं. जो प्रत्येक वर्ष लगने वाले खिचड़ी मेले में नाथ सम्प्रदाय से जुड़े जोगी दिख जाते है.

गुरू गोरखनाथ का सनिध्य

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गुरु गोरखनाथ के गोरक्षपीठाधीश्वर के महंत योगी आदित्यनाथ के मठ से मुस्लिम जोगियों के जुड़े रहने का इतिहास रहा है.

गुरू गोरखनाथ ने ब्राह्मणवाद, बौद्ध परंपरा में अतिभोगवाद व सहजज्ञान में आई विकृतियों के खिलाफ विद्रोह किया. गुरू गोरखनाथ ने हिंदू-मुस्लिम एकता की नीवं रखी और ऊंच-नीच, भेदभाव, आडम्बरों का विरोध किया. यही कारण रहा कि नाथ सम्प्रदाय में बड़ी संख्या में सनातन धर्म से अलगाव के शिकार अस्पृश्य जातियों के साथ-साथ मुसलमान भी शामिल हुए.

पूर्वी यूपी में मुस्लिम

पूर्वी यूपी में मुस्लिम जोगियों के दर्जनों गांव हैं. जो नाथ पंथियों की तरह भगवा वस्त्र पहनते हैं, हाथ में सारंगी होती है. पीढ़ी दर पीढ़ी ये जोगी गोपीचंद्र और राजा भर्तहरि के गुरु गोरखनाथ के प्रभाव में आ कर संन्यासी हो जाने की लोककथा तथा गीतों के माध्यम से गाते फिरते हैं. स्थानीय लोग इन्हें भेंट स्वरूप अनाज व नकदी देते हैं और बड़े ध्यान से उनसे गुरु गोरखनाथ की महिमा का वर्णन करने वाले गीत भजन सुनते है.

पुस्तकों के अनुसार

हिंदी के प्रसिद्ध लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी ने नाथ संप्रदाय पर लिखी अपनी पुस्तक में इनके बारे में लिखा है, ‘नाथमत को मानने वाली बहुत सी जातियां घरबारी हो गई हैं. देश के हर हिस्से में ऐसी जातियों का अस्तित्व है. इनमें बुनाई के पेशे से जुड़ी तमाम जातियां हैं. इनमें मुसलमान जोगी भी हैं. पंजाब के गृहस्थ योगियों को रावल कहा जाता है और ये लोग भीख मांगकर, सड़को किनारे नाटक दिखाकर, हाथ देखकर अपनी जीविका चलाते हैं. बंगाल में जुगी या जोगी कहने वाली कई जातियां हैं. योगियों का बहुत बड़ा संप्रदाय अवध, काशी, मगध और बंगाल में फैला हुआ था. ये लोग गृहस्थ थे और पेशे से जुलाहे या धुनिए का काम करते थे. धार्मिक रूप से इनका किसी तरह का स्थान नहीं था.’

हजारी प्रसाद लिखते है कि बंगाल के रंगपुर जिले के योगियों का काम कपड़ा बुनना, रंगसाजी और चूना बनाना है. नाथ सम्प्रदाय के महापुरूष गोरखनाथ, धीरनाथ, छायानाथ और रघुनाथ आदि हैं. इनके गुरू और पुरोहित ब्राह्मण नहीं होते बल्कि इनकी अपनी ही जाति के लोग होते हैं. इनके यहां बच्चों के कान चीरने और मृतकों की समाधि देने की परंपरा है.

गोरखनाथ एंड दि कनफटा योगीज

जार्ज वेस्टन ब्रिग्स ने अपनी पुस्तक  ‘गोरखनाथ एंड दि कनफटा योगीज’ 1891 की जनसंख्या रिपोर्ट के आधार पर बताया है कि भारतवर्ष में योगियों की संख्या 2,14,546 हैं. आगरा व अवध प्रांत में 5,319 औघड़, 28,8169 गोरखनाथी औऱ 78,387 योगी थे. इनमें बड़ी संख्या में मुसलनान योगियों की है. 1891 की पंजाब की रिपोर्ट में बताया कि मुसलमान योगियों की संख्या 38,137 है. वर्ष 1921 की जनगणना में हिंदू योगी 6,29,978 और मुस्लिम जोगीयों की संख्या 31,158 बताई गई हैं.

मुस्लिम जोगियों की वर्तमान स्थिति

आज भी गोपीचंद और भर्तहरि को गाने वाले मुसलमान योगी नाथपंथ से जुड़े गृहस्थ योगी हैं जो अपने को जोगी कहते हैं. इन मुसलमान जोगियों के गांव गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, संतकबीरनगर, आजमगढ़ और बलरामपुर में मिलते हैं नाथ सम्प्रदाय पथ पर चलते हैं. लेकिन अब ये अपनी परंपरा को छोड़ रहे हैं मुसलमान जोगियों पर समुदाय के भीतर और समुदाय के बाहर दोनों तरफ से अपनी इस परंपरा को छोड़ने का दबाव बढ़ रहा है. सांप्रदायिकता और कटुता बढ़ने के कारण अब ये जोगी भगवा वस्त्र में खुद को असहज पाते हैं. उनके घरों में नौजवान नाथपंथ को तो मानते हैं पर परंपरा से दूरी बनाने लगे हैं.

गोरखबानी नाम की गोरक्षपीठ की सबसे प्रामाणिक किताब में भी मुस्लिमों के जुड़ाव का उल्लेख मिलता है. गोरखनाथ मंदिर हमेशा से सभी धर्मों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय का भी खुले दिल से स्वागत करता आ रहा है.

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