सकट चौथ 2019: जानिए सकट माता की ये कथा, ऐसे करें व्रत-पूजा

वैसे तो हर माह में कोई ना कोई व्रत आता है. जिन्हें करने से हमारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं साथ ही हम पर भगवान की कृपा भी बनी रहती है.

बता दें कि हर साल माघ महीने में कृष्ण चतुर्थी को सकट चतुर्थी मनाई जाती है. इस दिन सभी गणेश भगवान और सकट माता की पूजा करते हैं. कहते हैं कि इस व्रत को करने से गणेश भगवान हमेशा प्रसन्न होते हैं साथ ही सकट माता की कृपा भी हम पर बनी रहती है.

इस दिन सभी महिलाएं सुबह उठकर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम फलों का सेवन करती हैं. इस दिन सभी सकट माता को पकवानों का भोग लगाते हैं और तिल और गुड़ का तिलकूट बनाते हैं.

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सकट चतुर्थी व्रत कथा- एक बार किसी नगर में एक कुम्हार रहता था, बर्तनों को बनाकर वह अपना जीवन यापन करता था. बता दें कि जब एक बार उसने बर्तन बनाकर आंवां लगाया तो आंवां पका नही हुआ और वह परेशान होकर राजा के पास गया. कुम्हार ने अपनी परेशानी राजा को बताई जब राजा ने राजपंडित को बुलाकर इसका कारण पूछा, पंडित ने कहा, कि आंवां लगाते समय एक बच्चे की बलि देनी होगी जिससे पूरे प्रजा में ये संदेश फैल गया और बलि देने की परंपरा शुरु हो गई. हर बार किसी के घर से बच्चे की बलि दी जाने लगी.

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इसी तरह एक दिन एक बुढिया के बच्चे की बारी आई और उसका केवल एक ही बच्चा था. उस बुढ़िया ने राजा का कहा नही माना, वह सोचने लगी कि वह क्या करें तभी उसे तभी उसको एक उपाय सूझा. उसने लड़के को सकट की सुपारी तथा दूब का बीड़ा देकर कहा, ”भगवान का नाम लेकर आंवां में बैठ जाना. सकट माता तेरी रक्षा करेंगी.”

इसके बाद सकट के दिन जब बेटे को आंवां पर बिठाया गया तो बुढ़िया सकट माता की पूजा करने लगी. बता दें कि आंवां पकने में कई दिन लग जाते है लेकिन जब कुम्हार ने दूसरे दिन देखा तो आंवां पक गया और बुढी औरत का बेटा जीवित था. तब से सभी सकट माता की पूजा करने लगे.

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