दशकों तक समाजवादी पार्टी को पालने पोसने वाले शिवपाल अलग राह चुन चुके। शिवपाल यादव पहली बार भाई मुलायम सिंह यादव और भतीजे अखिलेश के बिना अपनी ताकत दिखाने जा रहे हैं। नई पार्टी के जरिए उनकी पहली आज लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर मैदान में होगी। इसे जनाक्रोश रैली नाम दिया गया है और नारा है, ‘हैं तैयार हम’.
शिवपाल के लिए ये रैली अपनी ताकत दिखाने के साथ प्रतिष्ठा का भी सवाल बन गई है। जिसको लेकर उनके समर्थक उत्साहित हैं। ये रैली उन लोगों का भी कन्फ्यूजन दूर करेगी जो अखिलेश और शिवपाल में से किसको चुनने इस पसोपेश में हैं।
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होल्डिंग से पटा लखनऊ
रैली से पहले लखनऊ शहर नए स्लोगनों और बड़ी होर्डिंग से लैस है. चौराहों-चौराहों पर लगे होर्डिंग में शिवपाल को समाजवादी जननायक के रूप में पेश किया गया है। पहली रैली का स्लोगन फिल्मी गाने से लिया गया है। ‘चाचा तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं’ का नारा तो उसी दिन से लगने लगा था जब शिवपाल सपा से अलग होकर समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाया था।
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पोस्टरों में शिवपाल बेमिसाल
कई पोस्टरों में शिवपाल को बेमिसाल बताया गया है। भारी भीड़ के साथ शिवपाल के चित्र के साथ लिखा है नहीं अकेले हैं शिवपाल। साफ संदेश है कि जनता शिवपाल के साथ है। एक होर्डिंग में लिखा है यूपी के जेहन में सवाल है और उम्मीद में शिवपाल हैं। जबकि दूसरी होर्डिंग में आपके लिए निकल पड़े शिवपाल नारा चस्पा है जबकि एक अन्य होर्डिंग में लिखा है एक ही नारा एक ही जंग मरते दम तक शिवपाल के संग।
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मंच पर दिख सकते हैं कई सपाई
राजनीति समीकरण के मुताबिक शिवपाल की पार्टी सपा को तगड़ा झटका दे सकती है। जिसका पहला सीन रैली में दिख सकता है। अगर सपा के कुछ बड़े नेता शिवपाल का मंच साझा करते दिख जाएं, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। सपा और अखिलेश से असंतुष्ट नेताओं व कार्यकर्ताओं को शिवपाल ही बड़ी उम्मीद दिख रहे हैं। जो शिवपाल की ताकत देखकर पार्टी में जुड़ सकते हैं। वहीं शिवपाल के समर्थकों ने इस रैली को शिवपाल के अपमान से जोड़कर मुद्दा बना रहे हैं।
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रैली के बाद राष्ट्रीय अधिवेशन लखनऊ
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की रैली के बाद शिवपाल यादव ने राष्ट्रीय अधिवेशन भी बुला रखा है। लोग भले ही शिवपाल को बीजेपी की बी टीम बता रहे हों। लेकिन शिवपाल रैली को केंद्र व यूपी की भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ है। शिवपाल के मुताबिक महंगाई, बेरोजगारी तो कम नहीं हुई, उल्टे जीएसटी व नोटबंदी से जनता की मुसीबतें और बढ़ा दीं। छोटा मोटा कारोबार करने वालों को इससे भारी नुकसान हुआ। जनता में इन सबको लेकर आक्रोश है।
शिवपाल की रैली में सबकी नजर
शिवपाल की रैली पर बीजेपी, सपा, के साथ दूसरी पार्टियों की नजर है। ताकि भविष्य की संभावनाओं का पता चलेगा। शिवपाल के सामने खुद को मजबूत और राजा भइया से ज्यादा भीड़ जुटाने की चुनौती भी है।