नई दिल्ली। मौन मोहन, म्युट मोड, मौनी बाबा। ना जाने ऐसे कितने नामों से पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह को पुकारा गया। सोशल मीडिया में हजारों मीम्स और जोक बनकर सालों तक वायरल होते रहे। लेकिन मनमोहन सिंह ने कभी धैर्य खोया और ना ही ऐसी बातों की परवाह की। शायद उन्हें भी सही वक़्त का इंतज़ार था जोकि अब आ गया लगता है।
मंगलवार को उन्होंने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की तरफ जो गुगली फेंकी है उसका जवाब भारतीय जनता पार्टी को नहीं सूझ रहा है। सियासी ही नहीं मीडिया के हलकों में भी सवाल यह तैरने लगा है कि क्या पीएम अपने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह के चैलेंज को स्वीकार करेंगे।
ये भी पढ़ेः इन 83 पूर्व अफसरों ने मांगा CM योगी का इस्तीफा, ये है वजह
राहुल गांधी ने उठाया था सवाल
मैंने हर मौके पर की बात
दिल्ली में एक किताब ‘चेंजिंग इंडिया’ के छठे संस्करण के विमोचन के दौरान मनमोहन सिंह ने मीडिया के सवालों का जवाब देने का चैलेंज दिया है। पूर्व पीएम ने कहा कि जब मैं दस साल तक प्रधानमंत्री के पद पर था। तो लोगों ने मुझ पर आरोप लगाते थे कि मैं अहम मुद्दों पर चुप रहता हूं। मुझे मौन रहने वाला प्रधानमंत्री कहा गया। लेकिन मैं ऐसा नहीं था, जो किसी मामले पर बात करने से घबराता था। मैंने हर विदेशी दौरे के बाद मीडिया से बात की। उनके सवालों का खुलकर जवाब दिया।
ये भी पढ़ेः बीजेपी मुख्यमंत्रियों ने भी शुरु की किसानों को राहत देने की योजना
‘मैं एक्सीडेंटल पीएम नहीं’
मनमोहन सिंह ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब मैं पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्तमंत्री बना तो मुझे एक्सीडेंटल वित्तमंत्री कहा गया। बाद में प्रधानमंत्री बनने के बाद भी लोगों ने दुर्घटनावश प्रधानमंत्री बन जाने का ठप्पा लगा दिया।
मोदी पर मनमोहन ने कसा तंज
पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने मौन होने का सवाल इसलिए भी उठाया है, क्योंकि बीते कुछ दिनों से पीएम मोदी के मीडिया से बात नहीं करने का सवाल उठाया जा रहा है। पांच राज्यों के चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने भी पीएम मोदी के मीडिया से बात नहीं करने का आरोप लगाया था।
मेल करके दिए सवालों के जवाब
मनमोहन सिंह के तंज पर सुगबुगाह होने लगी है, कि क्या पीएम मोदी अब मीडिया के सामने आएंगे। क्योंकि ये बात तो सच है कि पीएम बनने के बाद मोदी ने कुछ मीडिया संस्थानों को इंटरव्यू तो दिया है। लेकिन सार्वजनिक रूप से कोई प्रेस वार्ता नहीं बुलाई है. इतना ही नहीं कुछ मीडिया संस्थानों को मेल से सवाल मंगाकर उनके जवाब दिए है। साथ ही मीडिया से मुलाकात उनकी सेल्फी खिंचवाने और फोटो अपॉर्चुनिटी से ज्यादा नहीं रहा।
दबाव में रहा है मीडिया !
राहुल गांधी के बाद मनमोहन का सवाल उठाना इसलिए भी गंभीर मसला बन गया है। क्योंकि बीते चार सालों में मीडिया को ‘गोदी मीडिया’ जैसा शब्द झेलना पड़ रहा है। साथ ही लोगों के अंदर भी ये भावना पैदा हो गई है, कि केंद्र की बीजेपी सरकार खासकर मोदी के आने के बाद मीडिया दबाव में हैं। ये बात भी सच है कि इससे पहले शायद ही कोई पीएम रहा हो जिसने मीडिया से इतनी दूरी बनाई हो।
मौका देखकर दिया चैलेंज
ऐसे में ये सवाल अब लोकसभा चुनाव के ठीक पहले उठाकर मनमोहन सिंह ने नया दांव चल दिया है। जिसको पीएम मोदी की स्वीकार करना और निगलेट करना भारी पड़ सकता है। क्योंकि इससे बीजेपी और मोदी की छवि को धब्बा लगने जैसा है। मनमोहन सिंह की छवि गंभीर नेताओं की है. अगर उन्होंने मोदी के मीडिया से बात नहीं करने का सवाल उठाया है तो लोग भी इसे गंभीरता से लेंगे। साथ ही मोदी इस चैलेंज को कब स्वीकारते हैं, इसपर भी टकटकी लगी रहेगी।