भगवान से जुड़ी आपने कई पौराणिक कथाओं के बारे में सुना होगा। जो हमें कोई ना कोई संकेत देता है। सभी जानते हैं कि नंदी बैल भगवान शिवजी जी का वाहन है और भगवान शिव को वह प्रिय भी होता है। क्या आप जानते हैं कि भगवान शिवजी जी ने नंदी बैल को ही क्यों अपने वाहन के रुपमें चुना। अगर नहीं तो आइए जानते हैं-
पौराणिक कथा:
एक बार शिलाद ऋषि ने भगवान शिव की घोर तपस्या की जिसके बाद उन्हे नंदी को पुत्र के रुप में पाया। नंदी को शिलाद ऋषि ने चारों वेदों का ज्ञान दिया। चारो वेदों के ज्ञान के बाद नंदी ने भगवान शिव की घोर तपस्या शुरु कर दी जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और नंदी वरदान मांगा कि वह शिव के साथ उम्रभर रहना चाहता है जिसके बाद भगवान शिव ने उसे आपना वाहन बना लिया। बता दें कि जिस तरह गायों में कामधेनु श्रेष्ठ है उसी तरह बैलों में नंदी श्रेष्ठ है। आमतौर पर खामोश रहने वाले बैल का चरित्र उत्तम और समर्पण भाव वाला बताया गया है। इसके अलावा वह बल और शक्ति का भी प्रतीक है।
कहा जाता है कि बैल मोह-माया से परे रहने वाला प्राणी है। वैसे तो बैल शांत और सीधा प्राणी होता है लेकिन जब इसे क्रोध आता है तो वह शेर से भी लड़ जाता है। यही सभी कारण रहे हैं जिसके कारण भगवान शिव ने बैल को अपना वाहन बनाया।
सभी जानते हैं कि रावण भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त था। एक बार रावण भगवान शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत गए। जहां उन्होनों नंदी को देखकर उसकी हसी उड़ाई और नंदी जी को वानर मुंह वाला कहा। जिसे सुनकर नंदीजी क्रोधित हो गए और रावण को श्राप दिया कि उसका विनाश वानरों के कारण ही होगा।