आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने दशहरे के पवित्र अवसर पर RSS ने अपना 96 वां स्थापना दिवस मनाया है। इस अवसर पर आज नागपुर में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां RSS चीफ मोहन भागवत ने ‘शस्त्र पूजा’ की। आज के ही दिन वर्ष 1925 में RSS की स्थापना की गई थी। वहीं कार्यक्रम में शस्त्र पूजन करने के पश्चात, भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया।
सेवकों को संबोधित करते हुए आरएसएस मुखिया भागवत ने कहा कि ‘हमें जिस दिन आजादी मिली थी, उस दिन हमें स्वतंत्रता के आनंद के साथ बंटवारे की दर्द और वेदना भी मिली। हमारा देश विभाजित हुआ, उसका एक दुखद इतिहास है, जिसे हर किसी को जानना आवश्यक है।’ इसके आगे अपने संबोधन में श्री भागवत ने कहा कि ‘आजादी का सुख बड़ी कठिनाई से प्राप्त हुआ था, इसके लिए काफी तपस्या की गई थी और काफी बलिदान भी दिया गया था। परन्तु विभाजन की टीस आज भी है। देश का विभाजन जिस शत्रुता और अलगाव के वजह से हुआ था उसको नहीं दोहराना है इसे रोकने के लिए हर किसी को इतिहास पढ़ना आवश्यक है, विशेष रूप से आज की पीढ़ी को इसको जानना ज्यादा आवश्यक है, जिससे आत्मीय समाज के लिए सब कोशिश कर सकें।
हम सब विविधताओं को स्वीकार करते हैं। #RSSVijayadashami pic.twitter.com/DTZvsGGPRF
— RSS (@RSSorg) October 15, 2021
गुमराह किया जा रहा है देश के लोगों को :भगवत
इस दौरान आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि ‘ये धर्म का असर ही भारत को प्रभावी बनाता है परन्तु इस वक्त इतिहास, संस्कृति का दुष्प्रचार किया जा रहा है, विश्व और भारत के जनों को गुमराह करने का कार्य किया जा रहा है, जो कि अनैतिक है और इसे रोकना होगा और इसे रोका तभी जा सकेगा जब इतिहास और संस्कृति के बारे में लोगों को सही से पता होगा।