भारत की महान धावक और उड़न परी के नाम से प्रसिद्ध पीटी उषा राज्यसभा के लिए मनोनित की गई हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर पीटी उषा को बधाई दी थी। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- पीटी उषा हर भारतीय के लिए प्रेरणा हैं। खेलों में उनके योगदान को जाना जाता है। राज्यसभा में मनोनित किए जाने पर बधाई। पीटी उषा ने साल 1984 ओलंपिक खेलों में चौथा स्थान प्राप्त किया था। इसके बाद से वो भारत भर में फेमस हो गईं। उनकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ी की आगे चलकर वो एथलेटिक्स का पर्याय बन गईं। अब उनके योगदान को सम्मान देते हुए उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है।
पीटी उषा ने खुद बताया था कि 1980 के दशक में देश के हालात बिल्कुल सही थे। जब वो खेल की दुनिया में आई थीं, तो उन्होंने नहीं सोचा था कि एक दिन वो ओलंपिक में भी प्रतिभाग कर पाएंगी।
कोच ने दी नई जिंदगी
पीटी उषा, राज्य सरकार के प्रशिक्षण अभियान में समलित थीं। फिर भी उन्हें बहुत कम सुविधाएं मिल सकी थीं। वो बताती हैं, “वहां हम चालीस खिलाड़ी थे, जिनमें एथलीट भी शामिल थे। हमारे लिए गिने-चुने बाथरूम हुआ करते थे। तमाम मुश्किलों के बावजूद हमें सख्त नियमों का पालन करना पड़ता था। मेरा दिन सुबह पांच बजे शुरू होता था। दौड़ने की प्रैक्टिस करने के साथ-साथ हमें पढ़ाई का कोर्स भी पूरा करना होता था।” इसी दौरान उनकी बेट सुप्रसिद्ध कोच ओएम नांबियार से हुई थी। नांबियार को पीटी उषा में एक अलग ही छवि दिखाई दी । उन्होंने ऊषा को और बेहतर करने के लिए उनका उत्सवर्धन किया और उन्हें प्रशिक्षण देकर एक शानदार एथलीट के रूप में निर्मित किया।
पति ने किया था वापसी में सहयोग
वर्ष 1991 में विवाह के कुछ ही समय बाद उषा ने एथलेटिक्स से ब्रेक ले लिया था। तभी उन्होंने अपने बेटे को जन्म दिया। पीटी उषा के पति वी श्रीनिवासन की खेलों में रुचि थी। वो खुद एक खिलाड़ी थे। वो पहले कबड्डी खेला करते थे। उन्होंने हर काम में उषा को प्रत्शाहित किया । पीटी उषा खेलों की दुनिया में दोबारा आईं और 1997 में अपने खेलों के करियर से सन्यास ले लिया । उन्होंने भारत के लिए 103 अंतरराष्ट्रीय मेडल जीते हैं।