तीन तलाक पर अध्यादेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी

नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को तीन तलाक को एक आपराधिक कृत्य के दायरे में लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी. कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मीडिया को यह जानकारी दी.

मीडिया को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सबसे ज्यादा मामला उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए. कोर्ट के जजमेंट जनवरी 2017 से अब तक यूपी में कोर्ट के जजमेंट के पहले 126 और कोर्ट के जजमेंट के बाद 120 इंस्टैंट ट्रिपल तलाक के मामले दर्ज हुए. ये सभी मीडिया से मिले आंकड़ों के मुताबिक हैं, और कई मामले तो अनरिपोर्टेड हैं. आगे उन्होंने बताया कि अभी तक पूरे देश में 430 तीन तलाक की घटनाएं सामने आईं. जिनमें 229 मामले जजमेंट के पहले की है और 201 जजमेंट के बाद की है.

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वोट-बैंक के दबाव में कांग्रेस ने तीन तलाक बिल को समर्थन नहीं दिया. उन्होंने कहा कि मीडिया ने इस मामले को विस्तार से छापा है. उन्होंने कहा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष मुल्क में बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ नाइंसाफी हो रही थी. तीन तलाक का मुद्दा नारी न्याय और नारी गरिमा का है.

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अपराध संज्ञेय तभी होगा, जब खुद पीड़ित महिला या उसके खून के रिश्ते के लोग शिकायत करेंगे. उन्होंने कहा कि सिर्फ पीड़िता पत्नी ही चाहेगी तभी समझौता होगा. मजिस्ट्रेट बेल दे सकता है, मगर वह भी पीड़िता की सहमति से ही.

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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अध्यादेश लागू होने के बाद पीड़ित पत्नी से सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट बेल दे सकता है. एफआईर सिर्फ पीड़ित पत्नी, खून के रिश्तेदार कर सकते हैं. रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा  और कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी को इंसाफ और इंसानियत में भी राजनीति दिखाई देती है तो उसे समझाने का काम हमारा नहीं है.

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बिल के संशोधन में खास बातें

  • मामले के ट्रायल से पहले पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद भी मजिस्ट्रेट आरोपी को बेल दे सकता है.
  • पीड़िता, रिश्तेदार और खून के रिश्तेदार ही एफआईआर दर्ज करा सकते हैं.
  • मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर शादी बरकरार रखने का भी अधिकार होगा.
  • तीन तलाक बिल की पीड़िता और उसके बच्चे को मुआवजा भी मिलेगा.

 

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