नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। लॉकडाउन की मार इंसान हीं नहीं बल्कि भगवान के घर यानी मंदिरों पर भी पड़ी है। लॉकडाउन की वजह से जहां लोगों को घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा है तो वहीं मंदिरों पर भी आर्थिक संकट गहरा गया है। देश का सबसे रईस तिरुपति बालाजी मंदिर भी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। आंध्र प्रदेश के पवित्र तिरुमाला पर्वत पर स्थित तिरुपति मंदिर को लॉकडाउन के कारण बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है।
पिछले कई दिनों से श्रद्धालुओं के ना आने से श्रीवेंकटेश्वर मंदिर का संचालन और देखरेख करने वाले तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को 400 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। हालांकि इसका असर मंदिर के कर्मचारियों के वेतन पर नहीं पड़ेगा, ये दावा किया जा रहा है। आपको बता दें कि यहां करीब 23 हजार कर्मचारी काम करते हैं। ट्रस्ट का कहना है कि अगर आगे भी हालात ऐसे ही रहे तो इसमें भी दिक्कत आ सकती है।
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दो-तीन महीने तक मिलेगा पूरा वेतन
टीटीडी के अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी ने बताया कि 24 मार्च से लॉकडाउन के बाद हर महीने करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। इसके बावजूद, कर्मचारियों को अगले दो-तीन महीने तक पूरा वेतन दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट के बाजवूद टीटीडी अपने सभी स्थायी कर्मचारियों, अन्य कर्मियों, और पेंशनधारियों को पूरा वेतन देनेकी स्थिति में होगा।
हर साल दर्शन करते हैं 2.5 करोड़ श्रद्धालु
तिरुपति बालाजी मंदिर में हर साल करीब 2.5 करोड़ श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन लॉकडाउन के एलान के बाद मंदिर बंद है। 2 हजार साल से भी ज्याद पुराने इस मंदिर में इस वित्तीय वर्ष में 3310 करोड़ रुपये के राजस्व की परिकल्पना की गई थी, जो अब पूरी होती नहीं दिख रही है। अनुमान जताया गया था कि नकद चढ़ावे के रूप में मंदिर को 1300 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की आय होगी, लेकिन लॉकडाउन ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
एफडी पर मिलता है 700 करोड़ का ब्याज
तिरुपति मंदिर ने कई बैंकों में 12 हजार करोड़ रुपये फिक्स डिपॉजिट के रूप में जमा कर रखे हैं। इन एफडी से सालाना मंदिर को 700 करोड़ रुपये ब्याज मिलता है। लिहाजा, एक अधिकारी ने बताया कि बोर्ड को आय के वैकल्पिक स्रोतों से अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की उम्मीद है।
1300 कॉन्ट्रेक्ट कर्मचारियों को हटाया था
इससे पहले तिरुपति बालाजी मंदिर ट्रस्ट ने काम कर रहे 1300 कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया था। इन कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट 30 अप्रैल को खत्म हो गया और मंदिर प्रशासन ने 1 मई से कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू करने से मना कर दिया।