सबरीमाला मंदिर के खुले कपाट, नहीं पहुंची 10 से 50 साल की एक भी महिला
सबरीमाला: भगवान अयप्पा मंदिर के कपाट सोमवार को कड़ी सुरक्षा के बीच खोले गए. इस दौरान सुरक्षा बेहद कड़ी की गई, लेकिन पुलिस ने बताया कि मंदिर में 10 से 50 साल की कोई भी लड़की या महिला नहीं दिखी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सबरीमाला मंदिर हर उम्र और हर वर्ग की महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं, लेकिन ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है.
शाम 5 बजे खुले कपाट
मंदिर के प्रधान पुजारी (तंत्री) कंडाररू राजीवरू और मुख्य पुजारी (मेलशांति) उन्नीकृष्णन नामबूथिरी ने मिलकर शाम 5 बजे गर्भगृह के कपाट खोले, जिसके बाद हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर में प्रवेश किया, लेकिन महिलाओं ने खासकर 10 से 50 साल की एक भी महिला ने मंदिर में प्रवेश नहीं किया.
आज फिर खुलेंगे कपाट
मंदिर अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को कोई विशेष पूजा नहीं होगी. रात 10 बजे कपाट बंद कर दिए जाएंगे. वहीं मंगलवार को दरवाजे फिर खुलेंगे. त्रावणकोर के आखिरी राजा चिथिरा थिरुनल बरलाम वर्मा के जन्मदिवस के अवसर पर मंगलवार को विशेष पूजा ‘श्री चित्रा अत्ता तिरूनाल’ होगी. वहीं शाम को मंदिर परिसर में अयप्पा धर्म सेना के अध्यक्ष राहुल ईश्वर और भाजपा नेता पहुंचे.
किले में तब्दील सबरीमाला
सबरीमाला मंदिर को किले में तब्दील कर दिया गया. भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई. कैमरे और मोबाइल फोन जैमर भी लगाए गए हैं. साथ ही सुरक्षाबलों की टीम में 20 सदस्यीय कमांडो टीम जिसमें 100 महिलाएं शामिल हैं को तैनात किया गया है. इलावुंगल, पम्बा, सन्निधानम और निलक्कल में 72 घंटे के लिए धारा 144 के अंतर्गत निषेधाज्ञा लागू की गई है. मंदिर परिसर और आसपास के इलाके में लगभग 2300 से ज्यादा पुलिकर्मियों की तैनाती की गई है.
युवा महिला पत्रकारों को न भेजे
वहीं कपाट खुलने से पहले आंदोलन कर रहे कई हिंदू संगठनों ने मीडिया संगठनों से कहा कि इस मुद्दे को कवर करने के लिए महिला पत्रकारों को ना भेजें. सबरीमाला मंदिर में माहवारी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ ये संगठन विरोध कर रहे हैं और इन्होंने महिला पत्रकारों को ना भेजने की अपील की है. हिंदू ऐक्यवेदी, विश्व हिंदू परिषद और दक्षिणपंथी संगठनों के संयुक्त मंच सबरीमाला कर्म समिति की तरफ से ये अपील की गई.