लखनऊ: एप्पल के मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या की चश्मदीद सना खान ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं. सना ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि पुलिस ने उस पर हर तरह से दबाव बनाने की कोशिश की. सना का कहना है कि वारदात के बाद कुछ पुलिस वाले उसे अपने साथ ले गए और करीब दो घंटे तक गोमतीनगर के आस-पास के इलाकों में घुमाते रहे. इस दौरान उस पर चुप रहने का दबाव बनाया गया.
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डिवाइडर पर खड़े होकर मारी गोली
सना ने बताया कि आरोपी सिपाही प्रशांत डिवाइडर पर खड़ा था और वहीं से खड़े होकर उसने विवेक को गोली मारी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी ये कहा गया है कि गोली विवेक की ऊंचाई से ज्यादा ऊंचाई से चलाई गई. तभी ये ठुड्डी पर लगने के बाद नीचे की तरफ गई. सना का डिवाइडर पर खड़े होकर गोली मारने का बयान पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से मेल खा रहा है.
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प्रशांत की पत्नी ने भी दबाव बनाया !
सना ने बताया कि वारदात के बाद वो काफी घबराई हुई थी. पुलिस कर्मी ना तो उसे फोन करने दे रहे थे ना ही किसी का फोन रिसीव करने दे रहे थे. सना का आरोप है कि उसने कई बार अपना मोबाइल मांगा, जिससे वह दोस्तों और परिजनों को सूचना दे सके लेकिन पुलिस ने उसको मोबाइल नहीं दिया. इसी घबराहट में पुलिस ने उससे मनमाफिक तहरीर पर साइन करवा लिए. सना को शक है कि तहरीर बोलकर लिखवाने वाली महिला, आरोपी सिपाही प्रशांत की पत्नी ही थी. उसने कहा कि अखबारों में छपीं आरोपी प्रशांत की पत्नी की फोटो देखकर उसे लग रहा है कि तहरीर लिखवाने वाली महिला सिपाही वही थी. सना का आरोप है कि तहरीर लिखवाने के दौरान महिला पुलिसकर्मी ने उससे कई तरह के सवाल किए और उसकी बात काटने की कोशिश की.
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…तो बच सकती थी विवेक की जान
सना का यह भी कहना है कि अगर डॉक्टरों की सलाह पर विवेक को दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया जाता, तो शायद उनकी जान बच सकती थी. सना ने बताया कि जब विवेक को लोहिया अस्पताल ले जाया गया तो वहां डॉक्टरों ने कहा कि हालत काफी गंभीर है तुरंत इसे यहां से किसी और अस्पताल में भर्ती करवाइए, लेकिन काफी वक्त बीत जाने के बाद भी विवेक को कोई कहीं नही ले गया. सना ने आरोप लगाया कि अगर विवेक को कहीं और ले जाया जाता तो उसकी जान बच सकती थी.