इसपर पुनर्विचार करने में कितना समय लगेगा , तो जवाब में तुषार मेहता ने कहा की कानून पर पुनर्विचार की प्रक्रिया चल रही है।
CJI एनवी रमण ने कहा की केंद्र के हलफनामे में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नागरिक स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दों से अवगत हैं, और उनका मानना है कि स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में राष्ट्र पुराने औपनिवेशिक कानूनों सहित औपनिवेशिक बोझ को भी त्यागना का इच्छा रखता हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को चिंता जताया कि देशद्रोह कानून के दुरुपयोग की चिंताएं हैं, वहीं, अटॉर्नी जनरल ने खुद कहा था कि हनुमान चालीसा का जाप करने जैसे मामले सामने भी आ रहे हैं ।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को पुर्नविचार का काम 3-4 माह में पूरा करने को कहा हैं। तथा यह भी कहा की राज्य सरकारों को 124ए के तहत क्यों नहीं निर्देश देते की जबतक पुर्नविचार की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती देश द्रोह के मामलो को स्थगित रखें।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से देशद्रोह कानून के तहत लंबित मामलों के बारे में सूचित करने को कहा और पूछा कि सरकार इन मामलों से कैसे निपटेगी। तथा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सरकार से निर्देश लेने के लिए भी कहा कि क्या राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार होने तक मामलों को स्थगित रखा जा सकता है।