नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. आधार पर अहम फैसला सुनाते हुए जस्टिस ए के सीकरी ने कहा कि ये गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला लोगों के अधिकारों पर हमले के समान है.
जस्टिस सीकरी ने कहा कि शिक्षा हमें अंगूठे से हस्ताक्षर की तरफ ले गई, लेकिन एक बार फिर तकनीक हमें अंगूठे की ओर ले जा रही है. जस्टिस सीकरी ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि आधार बनाने के लिए जो भी डेटा लिया जा रहा है वो इससे मिलने वाले फायदे से काफी कम है. कोर्ट ने कहा कि आधार एक्ट में ऐसा कुछ नहीं है जिससे किसी की निजता पर सवाल खड़ा हो.
स्कूल एडमिशन में आधार जरूरी नहीं
कोर्ट ने स्कूलों में आधार की अनिवार्यता खत्म कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 6 से 14 साल के बच्चों के स्कूल में एडमिशन के लिए आधार जरूरी नहीं है. अदालत ने कहा कि आधार ना होने की हालत में किसी व्यक्ति को उसके अधिकारों से नहीं रोका जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CBSE, NEET, UGC अगर आधार को जरूरी बनाते हैं तो ये गलत है, वो ऐसा नहीं कर सकते.
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मोबाइल, खातों को आधार से जोड़ना असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट ने PAN के लिए आधार की अनिवार्यता को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार कार्ड जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने आधार ऐक्ट की धारा 57 को रद्द कर दिया. इस फैसले के बाद अब प्राइवेट कंपनियां आधार की मांग नहीं कर सकतीं. कोर्ट ने कहा कि मोबाइल नंबरों और बैंक खातों से जोड़ना आधार कार्ड होना असंवैधानिक है. अदालत ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड न मिले. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए कि सरकार बायोमीट्रिक डेटा को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कोर्ट की इजाजत के बिना किसी और एजेंसी से साझा ना करे.
38 दिनों तक चली सुनवाई
आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई 17 जनवरी को शुरू हुई थी जो 38 दिनों तक चली. आधार से किसी की निजता का उल्लंघन होता है या नहीं, इसकी अनिवार्यता और वैधता के मुद्दे पर 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने अपना फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की.