उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू का कहर, जानें स्वाइन फ्लू के लक्षण और बचाव

उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू का कहर देखने को मिल रहा है. इन दिनों स्वाइन फ्लू का घातक असर हो रहा है. मैक्स अस्पताल में भर्ती स्वाइन फ्लू पीड़ित एक मरीज की मौत हो गई है.

जानकारी के मुताबिक 61 वर्षीय मरीज देहरादून का रहने वाला था और मरीज के अंदर स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए गए थे. जिसके बाद उनको दिल्ली रेफर किया गया. जांच रिपोर्ट में पता चला कि उनकी मौत हो चुकी है. राज्य में स्वाइन फ्लू का असर काफी ज्यादा बढ़ चुका है. अलग अलग अस्पतालों में फ्लू के 66 मरीज भर्ती हैं. वहीं, गुरुवार को मैक्स अस्पताल से दो और मिलिट्री अस्पताल से एक संदिग्ध मरीज का सैंपल भी जांच के लिए दिल्ली भेजा गया है. स्वाइन फ्लू की दस्तक से स्वास्थ्य महकमे के हाथ-पांव फूल गए हैं.

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मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में एडवाइजरी जारी कर दी गई है कि स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीजों की तुरंत जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी जाए और इलाज में कोई भी लापरवाही न बरती जाए.

स्वाइन फ्लू के मरीजों को अलग वार्डों में रखने के निर्देश दिए गए हैं. बता दें कि मरीज एक तरफ स्वाइन फ्लू जैसी बीमारी से लड़ता है और दूसरी ओर व्यवस्था से. इस बीमारी में मरीज का इलाज संदेह के आधार पर होता है क्योंकि जब तक रिपोर्ट आ पाती है, मरीज की मौत हो जाती है. दरअसल, स्वाइन फ्लू की जांच के लिए मरीजों के ब्लड सैंपल दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) को भेजे जाते है और यहां से रिपोर्ट आने में समय लग जाता है.

क्या है स्वाइन फ्लू

स्वाइन फ्लू, सुअल में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा से मिलता जुलता है. ये वायरस बहुत ही तेजी से लोगों को अपनी चपेट में लेता है.

अगर आपको किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए.

स्वाइन फ्लू के लक्षण 

  • नाक का लगातार बहना

  • छींक आना

  • कोल्ड और लगातार खांसी

  • मासपेशियों में दर्द या अकड़न

  • सिर में भयानक दर्द

  • नींद न आना

  • ज्यादा थकान

  • दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना

  • गले में खराश

ऐसे करें बचाव

मरीज को आराम करना चाहिए और खूब पानी पीना चाहिए. शुरुआत में पैरासिटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं. वहीं, बीमारी के बढ़ने पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है.

 

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