टैगोर लाइब्रेरी: 200 वर्ष पुराना अखबार तरस रहा, नई लैब पर खर्च हो रहे पैसे

टैगोर लाइब्रेरी
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Written By: Nalinee

लखनऊ. लखनऊ विश्वविद्यालय की टैगोर लाइब्रेरी के कर्मचारी यहाँ की सुविधाओं एवं विश्वविद्यालय प्रशासन की नीतियों से असंतुष्ट हैं. नाम न छापने की शर्त पर कर्मचारियों ने बताया कि लाइब्रेरी के लिए नया कंप्यूटर लैब बन रहा है. इसके पहले का कंप्यूटर लैब मरम्मत व देखरेख के अभाव में खराब होने की वजह से 2 साल पहले बंद कर दिया गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि नई बिल्डिंग केवल बड़े अधिकारियों की कमाई का जरिया बनेगी और अंततः इसका हाल भी पुराने कम्प्यूटर लैब जैसा हो जायेगा.

टैगोर लाइब्रेरी
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नहीं है एसी की व्यवस्था

वर्षों से खराब पड़े AC प्लांट पर किसी का ध्यान नहीं है, जिसकी वजह से 200 वर्ष पुराने रखे THE HINDU अखबार के कागज अपनी गुणवत्ता खो चुके हैं. गर्मियों में तो लाइब्रेरी का रीडिंग रूम छात्रों के लिए तरसने लगता है, जिसकी वजह है लाइब्रेरी में एसी की व्यवस्था न होना. कर्मचारी भी तपती गर्मी में जैसे तैसे दिन काटते हैं.

नहीं बढ़ाई गयी सैलरी

2 दशकों से यहाँ काम कर रहे कर्मचारियों की भी नौकरी अब तक स्थाई नहीं की गयी है. लिहाजा उन्हें चार अंकों की सैलरी में ही गुजारा करना पड़ रहा है. पहले विश्वविद्यालय प्रशासन लाइब्रेरी के लिए 2 लाख का बजट आवंटित करता था, जिसमे कर्मचारियों की सैलरी भी शामिल थी, लेकिन अब सैलरी के अतिरिक्त 2 लाख का बजट प्रतिवर्ष आवंटित किया जा रहा है. फिर भी सैलरी नहीं बढाई गयी.

मनमाने तरीके से हो रहीं भर्तियाँ

वर्ष 2000 में कुल 85 कर्मचारी थे, अब ये संख्या घटकर 37 हो गयी है. इन बचे हुए कर्मचारियों में से भी अधिकांश 2027 तक सेवानिवृत्त हो जायेंगे. कर्मचारियों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से नियमानुसार कोई भर्ती प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती. पैरवी और पैसे की डील पर नए कर्मचारी नियुक्त किये जा रहे हैं. विश्विद्यालय के कर्मचारियों व कुलपति के परिचितों की भर्ती कर दी जा रही है, जिनके पास लाइब्रेरी साइंस से सम्बंधित कोई योग्यता नहीं है. ऐसे में योग्यता रखने वाले नए छात्रों व सालों से इंटर्न के रूप में लाइब्रेरी से जुड़े छात्रों का यहाँ नौकरी करने का सपना धरा के धरा ही रह जाता है. यहाँ इंटर्नशिप करने वाले छात्रों को स्थाई नियुक्ति का लालच देकर रोके रखा जाता है. जब छात्र दो-तीन वर्षों तक इंतजार कर के थक जाते हैं, तो जॉब की तलाश में कहीं और का रुख करते हैं. वर्ष 1991 से एक ही व्यक्ति लाइब्रेरियन के पद पर है, जिससे युवाओं तथा अन्य प्रतिभाओं को मौका नहीं मिल पा रहा है.

विभिन्न प्रकार की किताबें हैं उपलब्ध

उन्होंने लाइब्रेरी के बारे में बताया कि यहाँ पर लखनऊ से प्रकाशित होने वाले सारे अखबार नियमित रूप से छात्रों के लिए उपलब्ध होते हैं तथा प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए पत्रिकाएं भी रहती हैं. विश्वविद्यालय के कोर्स की किताबों के अलावा यहाँ पर उपन्यास व साहित्यिक पुस्तकें भी हैं. लाइब्रेरी में म्यूजियम का निर्माण कार्य चल रहा है, जो सम्पन्न हो जाने पर यहाँ लोगों की जानकारी के लिए ग्रन्थ व अन्य धार्मिक पुस्तकें भी उपलब्ध होंगी.

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