..तो इसलिए मकर संक्रांति के दिन बनाई जाती है खिचड़ी, जानिए आप भी

हर साल भारत में मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग राज्यों में अलग तरीकों से मनाया जाता है. आमतौर पर यह पर्व लोहड़ी के एक दिन बाद मनाई जाती है. मकर संक्रांति पर दान-पुण्य और गंगा स्नान का एक अहम स्थान हैं और सभी लोग इस दिन दान भी करते हैं.

कहा जाता है कि मकर संक्रांति के बाद सूर्य अपनी दिशा और चाल बदल देता है. जिससे गर्मी का आगमन हो जाता है. बता दें कि इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 तारिख की जगह 15 तारिख को मनाई जाएगी. क्योंकि इस बार सूर्य 13 जनवरी को नही बल्कि 14 जनवरी की शाम को मकर राशि में प्रवेश करेगा.

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इस दिन खिचड़ी दान करने और खिचड़ी खाने का रिवाज हैं पर क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों किया जाता है. आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं.

इसीलिए बनाते हैं खिचड़ी

माना जाता है कि चावल को चंद्रमा का प्रतीक और काली दाल को शनि का प्रतीक कहा गाया है. इस दिन काली दाल और चावल की खिचड़ी बनाने से व्यक्ति का मंगल और सूर्य अच्छा होता है.

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कहते हैं कि अगर मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाई जाए तो हमारी कुंडली के सभी ग्रह मजबूत होते हैं. साथ ही हमारे सभी कष्ट भी दूर होते हैं.
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