अकेले मनमोहन ही नहीं, ये 7 पीएम भी थे ‘एक्सीडेंटल’

जहां एक तरफ अनुपम खेर अभिनीत फिल्म The Accidental Prime Minister का ट्रेल रिलीज हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ पूर्व पीएम मनमोहन सिंह फिर सुर्खियों में आ गए हैं. ऐसे में एक बार इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि मनमोहन पीएम पद के स्वाभाविक दावेदार नहीं थे, बल्कि वो एक्सीडेंटल पीएम थे यानि कि उन्हें संयोग से ये पद मिला था. लेकिन बड़ी बात ये कि इस लिस्ट में अकेले मनमोहन सिंह ही शामिल नहीं हैं, बल्कि देश कई ऐसे पीएम रह चुके हैं जो अचानक ही पीएम बने थे. चालिए जानते हैं कौन-कौन हैं इस लिस्ट में शामिल.

इंदिरा गांधी

इंदिरा गांधी को देश का पहला एक्सीडेंटल पीएम माना जा सकता है. दरअसल, 1966 में ताशकंद में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद इंदिरा को देश का पीएम बनाया गया. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि 11 जनवरी 1966 में ताशकंद में पीएम लालबहादुर शास्त्री के निधन के बाद गुलजारी लाल नंदा को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया था. वहीं मोरारजी देसाई, जगजीवन राम, गुलजारी लाल नंदा पीएम पद की रेस में थे, लेकिन नेहरू के वफदारों ने इंदिरा का नाम भी आगे बड़ा दिया. उस वक्त लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में इंदिरा सूचना-प्रसारण मंत्री थीं. वहीं इन सबके बीच इंदिरा गांधी को 24 जनवरी 1966 को देश का प्रधानमंत्री बना दिया गया.

चौधरी चरण सिंह

1977 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा की बुरी तरह हार और पहली बार गैर-कांग्रेसी पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई. मोरारजी देसाई पीएम बने और चरण सिंह उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बने, लेकिन जनता पार्टी में कलह के चलते मोरारजी की सरकार गिर गई और 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री बने. हालांकि, 19 अगस्त को इंदिरा गांधी के समर्थन वापस लेने के कारण सरकार गिर गई, लेकिन चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक पीएम रहे.

राजीव गांधी

इंदिरा गांधी को 31 अक्टूबर को उनके ही अंगरक्षकों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी, जिसके बाद देश के नेतृत्व का संकट सबके सामने खड़ा हो गया. ऐसे में इंदिरा के बड़े बेटे राजीव गांधी को बुलाकर देश का पीएम बनाया गया. वो देश के सातवें और भारतीय इतिहास के सबसे कम उम्र के पीएम थे. वो राजनीति में नहीं आना चाहते थे, लेकिन हालात ने उन्हें राजनीति में ला खड़ा किया.

चंद्रशेखर

1990 में एक अनोखा घटनाक्रम देखने को मिला. जहां समाजवादी जनता पार्टी के नेता चंद्रशेखर ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई और चंद्रशेखर खुद 10 नवंबर 1990 को देश के प्रधानमंत्री बने. हालांकि, वो महज 6 महीने ही इस पद पर रहे. ऐसे में चंद्रशेखर का पीएम बनना एक्सीडेंटल ही कहा जाएगा.

पी वी नरसिंह राव

पी वी नरसिंह राव का पीएम बनना भी एक्सीडेंटल ही कहा जाएगा. दरअसल, चंद्रशेखर के 21 जून 1991 को इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस की सरकार बनी और पीएम बने पी वी नरसिंह राव. उनका चयन भी एक चौंकाने वाले घटनाक्रम के तहत ही हुआ. 1991 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की, लेकिन राजवी गांधी को खोने के बाद चुनौती थी कि कौन पीएम बनेगा. ऐसे में पी वी नरसिंह राव को देश की कमान सौंपी गई.

एचडी देवगौड़ा

साल 1996 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 140 सीटों के साथ दूसरे नंबर की पार्टी थी, लेकिन बहुमत का जुगाड़ उसके पास दूर-दूर तक नहीं था. वहीं राष्ट्रीय मोर्चे के पास 79 सीटें थी. इस मोर्चे के मुखिया एचडी देवगौड़ा कुछ दिन पहले ही विधानसभा चुनाव जीतकर कर्नाटक में सत्ता पर काबिज थे. उनके पास लोकसभा के कुल 46 सांसद थे. ऐसे में कांग्रेस ने बीजेपी को दोबारा सत्ता पर काबिज होने से रोकने के लिए राष्ट्रीय मोर्चा को बाहर से समर्थन देते हुए देवगौड़ा को पीएम बनवा दिया.

इंद्रकुमार गुजराल

1997 में कांग्रेस ने राष्ट्रीय मोर्चा  से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद देवगौड़ा ने इस्तीफा दे दिया और इंद्र कुमार गुजराल को संयुक्त मोर्चा का नया नेता चुना गया और 21 अप्रैल 1997 को वो देश के 12वें प्रधानमंत्री बने. वहीं पत्रकार राजदीप सरदेसाई की एक किताब में छपे किस्से के मुताबिक, भोर में गुजराल को जगाकर ये बताया गया था कि वो देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.

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