अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2019 का समय तय किया है. जब इस मुद्दे पर सुनावई होगी और उसके बाद ही कोर्ट की तरफ से कोई फैसला दिया जाएगा. ऐसे में मंदिर निर्माण को लेकर अभी इंतजार करना होगा. वहीं इन सबके बीच योगी सरकार अयोध्या में भगवान राम की भव्य प्रतिमा लगवाने की तैयारी में हैं. श्री राम की ये प्रतिमा अयोध्या में सरयू नदी के तट पर लगाने की योजना पर कार्य हो रहा है. वहीं योगी आदित्यनाथ छोटी दीवाली यानि 6 अक्टूबर को इस बात की घोषणा और मूर्ति का शिलान्यास कर सकते हैं. वहीं इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी सरदार सरोवर बांध के दक्षिण में स्थित नर्मदा नदीं के साधु बेटद्वीप पर सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति का अनावरण कर चुके हैं जो कि विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति है. ऐसे में एक सवाल खड़ा होता है कि क्या अयोध्या में प्रस्तावित मूर्ति सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति से ऊंची होगी?
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ये है ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी‘ की खासियत
सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति यानि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है, जिसका अनावरण देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 को किया. ये मूर्ति सरदार सरोवर बांध के दक्षिण में स्थित नर्मदा नदीं के साधु बेटद्वीप पर बनी है. इस मूर्ति की ऊंचाई 182 मीटर है. इस मूर्ति को बनाने में कुल खर्च 2,332 रुपये हुआ. वहीं पूरी परियोजना में कुल लागत 3 हजार करोड़ रुपये की आई. इस मूर्ति का वजन 67 हजार मीट्रिक टन है. इस परियोजना की शुरुआत 2012-13 में हुई, जिसके बाद इस काम को 42 महीनों में पूरा कर लिया गया. इस मूर्ति में एक हॉल बनाया गया है, जिसमें एक बार में 200 लोग समा सकते हैं. सवाल ये भी है कि क्या दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति भूकंप, बाढ़ और हवा का दबाव झेल पाएगी या नहीं. तो जरा इस पर गौर कीजिए. मूर्ति का निर्माण करते समय हवा के दबाव को सामान्य मानकर चलने की जगह पर +1 मानकर चला गया है ताकि ये हवा का दबाव झेल सके. वहीं ये प्रतिमा भूकंप जोन 3 में आती है, लेकिन इस मूर्ति को जोन 4 के आधार पर बनाया गया है. साथ ही इसमें डक्टाइल डिटेलिंग भी की गई है ताकि इसे भूकंप से बचाया जा सके.
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प्रस्तावित राम मूर्ति की खासियत
यूपी के मुख्यमंत्री छोटी दीवाली के दिन भगवान राम की लंबी प्रतिमा बनाने की घोषणा कर सकते हैं. इस मूर्ति के निर्माण के लिए अयोध्या में सरयू नदी के तट पर निर्माण के लिए योजना बनाई जा रही है. प्रस्तावित मूर्ति की कुल ऊंचाई 151 मीटर होगी, जिसमें 44 मीटर की ऊंचाई वाले चबूतरे पर 107 मीटर की मूर्ति स्थापित होगी, जिसके लिए 300 गुणा 300 मीटर की जगह की जरूरत होगी. कहा ये जा रहा है कि ये तैयारी पूरी हो चुकी है. श्री राम की भव्य मूर्ति पूरी तांबे की होगी. सरंचना तैयार करने के लिए स्टील और कंक्रीट का उपयोग होगा. मूर्ति पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होगी ही, लेकिन आकर्षण को बढ़ाने के लिए पास में आर्ट गैलरी, म्यूजियम और ऑडिटोरियम भी बनेगा. वहीं जहां अयोध्या में प्रस्तावित मूर्ति की कुल ऊंचाई चबूतरे को मिलाकर 151 मीटर होगी, तो वहीं दूसरी तरफ सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति की ऊंचाई 182 मीटर है. ऐसे में मौजूदा वक्त में पटेल की मूर्ति अयोध्या में प्रस्तावित मूर्ति से ऊंची जरूर है, लेकिन अगर आने वाले समय में अयोध्या में प्रस्तावित मूर्ति की ऊंचाई को लेकर कुछ बदलाव किए जाते हैं तो स्थिति कुछ और होगी.