चिराग के बढ़ते हुए कद से परेशान हैं सौतेली बहन?

नई दिल्ली। सियासत की दुनिया में रामविलास पासवान को मौसम विज्ञानी कहा जाता है। वो इसलिए कि निजाम किसी का हो पासवान सत्ता में रहते हैं। यानि वो सियासी हवा का रुख भांपकर पाला बदलने में माहिर हैं। लेकिन घरवालों के बीच वो हवा का रुख भांपने में गच्चा खाते दिख रहे हैं। उनकी बेटी और दामाद ने बगावत ऐलान कर दिया है। दामाद ने पाला बदल कर लालू की पार्टी का झंडा उठा लिया है। जड़ में पुत्र मोह माना रहा है , उम्र के आखिरी पड़ाव पर पहुंच रहे पासवान ने अपनी राजनीतिक विरासत बेटे चिराग के नाम कर दी है। जिसमें बेटी कहीं नहीं दिख रही और पासवान के दामाद अपनी बीवी के साथ नाइंसाफी पर जोर देकर इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं।

रामविलास पासवान ने 1960 में राजकुमारी देवी से शादी की जिससे उन्हें दो बेटियां हुईं ऊषा और आशा. 1981 में पासवान ने अपनी पहली पत्नी को तलाक दे दिया और 1983 में रीना शर्मा से शादी की जिनसे चिराग और बेटी निशा हुए. चिराग पासवान अपने पिता के नक्शेकदम पर न चलकर अपनी अलग राह बनाना चाहते थे. उन्हें फिल्मों में काम करने का शौक था लेकिन उसमें कैरियर ज्यादा चल नहीं पाया और फ्लाप हो गए . इसके बाद पिता के कहने पर उन्होंने 2014 में बिहार की सुरक्षित सीट जमुई से चुनाव लड़ा और जीते. माना जा रहा है कि यहीं से सौतेली बहन की आंख में चिराग चुभने लगे. रामविलास के संसद में होने के बाद भी चिराग लोजपा के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बने. अपने पिता के रसूख के चलते वह कई सारे विभागों के सदस्य भी बने. माना जा रहा है यही बढ़ती हुई उपलब्धियां सौतेली बहन को हजम नहीं हो रही है.

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लोजपा का पुराना इतिहास परिवारवाद से  जुड़ा है. बिहार में लोजपा की 4 सीटों में 3 पासवान के घर में हैं. उनके भाई रामचंद्र पासवान समस्तीपुर से सांसद हैं. चिराग आज पार्टी का चेहरा बनें हुए हैं. टीवी पर आते हैं मीडिया से मुखातिब होते हैं. लोगों से सीधा संवाद करते हैं और युवाओं में भी अच्छी खासी पैठ बना रखी है. अब जब पासवान की उम्र 71 साल हो गई है तो हो सकता है कि कुछ सालों बाद वह राजनीति से सन्यास ले लें. उस समय लोजपा के अध्यक्ष चिराग ही बनेंगे यह तय बात है. जब पिता के अध्यक्ष होते हुए भी सौतेली बहनों को लोजपा में भाव नहीं दिया जा रहा तो चिराग के अध्यक्ष बनने के बाद तो लोजपा ऑफिस में भी घुसना मुश्किल हो जाएगा. यही कारण है कि आशा ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले अपने पिता और भाई से बगावत के सुर बुलंद कर दिए.

ऊषा पासवान के पति अनिल साधु लोजपा के दलित सेना के प्रदेश अध्यक्ष थे लेकिन रामविलास पासवान से मतभेदों के चलते उन्होंने मार्च में अपने पद से स्तीफा दे दिया और आरजेडी ज्वाइन कर ली. उन्होंने एक टीवी चैनल को बताया कि आशा को कभी रामविलास ने प्यार नहीं किया. चिराग को बाहर के बड़े-बड़े स्कूलों में पढ़ने भेजा वहीं आशा को गांव में ही पढ़ाया.हमेशा अपने बच्चों में भेदभाव किया. ऐसे में अगर राजद उन्हें टिकट देती है तो वह रामविलास और चिराग को कड़ी टक्कर देते हुए हराएंगे. देखने वाली बात यह होगी कि जिस राजद में तेजप्रताप और तेजस्वी दोनों भाई खुद अपने पारिवारिक कलह से जूझ रहें हैं वह क्या दूसरों के पारिवारिक मामलों में हाथ डालेंगे ?

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