वो भारतीय फिल्में जिनको झेलना पड़ा पॉलिटिकल विवाद और कर दीं गयी बैन

वो भारतीय फिल्में जिनको झेलना पड़ा पॉलिटिकल विवाद और कर दीं गयी बैन

बॉलीवुड में अब बॉयोपिक का दौर चल रहा है. एक के बाद एक कई दिग्गज हस्तियों के जीवन पर आधारित कहानी को परदे पर उतरा जा रहा है. लेकिन कुछ ऐसी फिल्में भी थी जो रिलीज़ होने से पहले ही विवादों का शिकार हो गई और तो और कई ऐसी फिल्में भी है तो पोलिटिकल विवाद के चलते बैन कर दी गई.

1 – किस्सा कुर्सी का (1977)

इन फिल्मों की लिस्ट में सबसे पहले नाम आता है फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का, जिसे जोधपुर मूल के अमृत नाहटा ने डायरेक्ट किया था. ये भारत की बेस्ट पोलिटिकल फिल्मों में से एक थी. हालांकि अप्रैल 1975 को उन्होंने सेंसर बोर्ड में इसे भेजा, वहां से निर्माता को नोटिस भेजा गया और 51 आपत्तियां भीं. जिसके बाद फिल्म बैन कर दी गई.

2 – परज़ानिया (2005)

इस लिस्ट में दूसरा नाम आता है पिछले साल शाहरुख खान स्टारर फिल्म ‘रईस’ का जिसे डायरेक्ट किया था राहुल
ढोलकिया ने और यह फिल्म उनकी की पहली फीचर फिल्म थी. ये फिल्म 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित थी.
इसके केंद्र में 10 साल के पारसी लड़के अज़हर मोदी का असली केस था जो फरवरी में गुलबर्ग सोसायटी में हुए
नरसंहार के दौरान गायब हो गया जिसमें 69 लोगों को कत्ल कर दिया गया था.

3- सोनिया (2005)

वही एक फिल्म इटली मूल की युवती सोनिया गांधी पर भी बनाई गई जो बाद में भारत के सबसे बड़े राजनीतिक
परिवार की बहू बनती है. जिसे राजनीति बिल्कुल भी पसंद नहीं थी. 2005 में बनी इस फिल्म को डायरेक्ट किया
था टीडी कुमार ने लेकिन पांच साल धक्के खाती रही. सेंसर बोर्ड ने इसे पास करने से मना कर दिया था. हालांकि
दो साल बाद कोर्ट ने इसे रिलीज करने की अनुमति दे दी. लेकिन अंत में ये रिलीज नहीं हुई.

4- आंधी (1975)

गुलज़ार के निर्देशन में बनी ये फिल्म आंधी रिलीज हो गई  और 26 हफ्ते चलने के बाद इसे बैन कर दिया गया.
खबरों के मुताबिक फिल्म को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित बताया गया। यहां तक कि फिल्म के
प्रचार के लिए पोस्टरों पर ये भी लिखा गया कि अपनी प्रधान मंत्री को देखने थियेटर आइए.

5- फिराक़ (2008)

नंदिता दास के डायरेक्शन में बनी फील फ़िराक की कहानी 2002 के गुजरात दंगों के एक महीने बाद की है. लेकिन
गुजरात में ये फिल्म रिलीज नहीं हुई और इसके पीछे कारण ये बताया गया कि वितरक लोग सिनेमाघर मालिकों
से ज्यादा पैसा मांग रहे थे, जबकि निर्माताओं के मुताबिक ऐसा कुछ नहीं था.

6- ‘पद्मावत’ (2018)

बीते साल संजय भंसाली की ‘पद्मावत’ को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इतना ही नही सेंसर
बोर्ड तक पहुंचने से पहले फिल्म पर तरह-तरह के हमले हुए हालांकि फिल्म को सेंसर ने पास कर दिया लेकिन
बावजूद भी राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश की सरकारों ने फिल्म पर बैन लगा दिया. जिसके बाद सुप्रीम
कोर्ट के चलते ‘पद्मावत’ 25 जनवरी को पूरे भारत में रिलीज हुई.

7- नील आकाशेर नीचे (1958)

नील आकाशेर नीचे आजाद भारत की पहली फिल्म थी जिसे बैन कर दिया गया था. मृणाल सेन के डायरेक्शन में
बनी यह फिल्म महादेवी वर्मा की कहानी ‘चीनी भाई’ पर आधारित थी. यहां एक गरीब चाइनीज़ फेरीवाला वांग लू
रहता है जो कलकत्ता की गलियों में चाइना सिल्क बेचता है. हालांकि पहले फिल्म रिलीज हुई और लोगों को पसंद
आई. लेकिन जब भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ने लगा तो सूचना प्रसारण मंत्रालय ने रोक लगा दी. बाद में संसद
में कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद हीरेन मुखर्जी ने इसे लेकर टिप्पणी की जिसके बाद फिल्म पर से बैन हटवाया जो की
ये बैन दो महीने चला था.

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