लखनऊ: बड़ी खबर बीएसपी कैंप से आ रही है. बुधवार को कांग्रेस पर तीखा हमला बोलने वाली मायावती ने यूपी में महागठबंधन का रास्ता करीब-करीब बंद होने के कगार पर ला दिया है. कांग्रेस के खिलाफ मायावती के तेवर से ये तो साफ है कि उसके लिए बीएसपी एक भी सीट नहीं छोड़ेगी. वहीं, सपा के लिए भी मायावती ने जितनी सीटें छोड़ने की बात कही है, वो अखिलेश यादव को भी हजम नहीं होने वाली.
मायावती दे सकती हैं बस इतनी ही सीटें
बीएसपी के खेमे के सूत्रों के मुताबिक मायावती ने 2019 लोकसभा चुनावों में यूपी की एक भी सीट कांग्रेस के लिए न छोड़ने का फैसला कर लिया है. वहीं, सपा को भी वो कुल 80 में से सिर्फ 18 सीटें देने का फैसला कर चुकी हैं. सूत्रों के अनुसार सपा नेतृत्व तक मायावती ने अपनी मंशा पहुंचा दी है और इसका ही नतीजा है कि बुधवार को अखिलेश ने कांग्रेस से बड़ा दिल दिखाने की गुजारिश की थी.
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अखिलेश को बड़ा झटका
मायावती अगर सिर्फ 18 सीटें ही सपा के लिए छोड़ेंगी, तो ये अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका होगा. 2014 के चुनाव में उनके परिवार के 5 लोग लोकसभा के लिए चुने गए थे. अब परिवार के लिए इन 5 सीटों के अलावा और 13 सीटें देने की मायावती की मर्जी को अखिलेश मानते हैं, तो यूपी समेत दिल्ली तक तक ये संकेत जाएगा कि सपा की सियासी हैसियत अब कुछ नहीं रही. वहीं, अगर अखिलेश ना-नुकुर करते हैं, तो 2019 में बीजेपी को तगड़ी चुनौती देने का उनका इरादा धूल-धूसरित हो सकता है.
क्या करेंगे अखिलेश ?
अखिलेश के सामने अब रास्ता यही बचा है कि वो आरएलडी और कांग्रेस के अलावा कुछ और छोटे दलों से हाथ मिलाएं और लोकसभा के चुनावी समर में उतरें. वैसे इस तरीके से भी सपा को यूपी की ज्यादातर सीटों पर जितवाने में उन्हें लोहे के चने चबाने पड़ सकते हैं.
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2014 में इन सीटों पर बीएसपी से आगे थी सपा
पीएम मोदी की बनारस सीट पर वोटों के लिहाज से बीएसपी 2014 में सपा से आगे थी, लेकिन सपा ने चंदौली, आजमगढ़, गोरखपुर, फूलपुर, गाजीपुर, लालगंज, बलिया, सलेमपुर, डुमरियागंज और बस्ती संसदीय सीटों पर बीएसपी को पछाड़ दिया था. बीएसपी से आगे रहने वाली 10 सीटें जब यही हो गईं, तो भला सपा किस तरह बीएसपी की 18 सीटों की पेशकश मान सकती है.
मुसलमान किसके साथ ?
मुसलमानों को आम तौर पर सपा का वोट बैंक समझा जाता है. यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से 143 सीटों पर 19 फीसदी मुस्लिम वोटर हार-जीत का फैसला करते हैं. अगर महागठबंधन नहीं बना, तो मुसलमान वोटर बंट सकते हैं और सपा में शिवपाल की बगावत के मद्देनजर उसका परंपरागत वोट बैंक मायावती की ओर भी खिसक सकता है. इससे मायावती को फायदा होने की उम्मीद ज्यादा है.