तो क्या यूपी में राहुल बढ़ा पाएगें कांग्रेस का ‘कोटा’ ?

एमपी, छ्त्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाने ने राहुल और उनकी पार्टी खुश है। साथ ही बीजेपी का तीन राज्यों में हराकर 2019 के लिए राहें खुलने की बात कर रही है। वहीं महागठबंधन की गांठ बांधने में ये जीत सबसे बड़ी बाधा बनने वाली है। जिसके संकेत पांच राज्यों के आए परिणामों के बाद ही संकेत मिलने शुरु हो गए है।

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जीत के बाद आक्रामक हुई कांग्रेस

पांच राज्यों के चुनाव में चाह कर भी राहुल, अखिलेश और माया महागठबंधन की नींव नहीं डाल पाए। वहीं अब कांग्रेस ने तीन बड़े राज्यों में जीत दर्ज करके महागठबंधन की ड्राइविंग सीट पर बैठ गई है। जिसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने ऐसे बयान दिए हैं। जिसके बाद राहुल बाबा का महागठबंधन करके 2019 में दिल्ली को मोदी मुक्त करने का सपना टूटता दिख रहा है।

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माया ने ‘दिल’ पर पत्थर रखकर दिया समर्थन

कांग्रेस के चुनाव जीतने के बाद लखनऊ में बसपा सुप्रीमो ने समर्थन तो दिया, लेकिन अपने बयान में एक लाइन जोड़कर कि बीजेपी को रोकने के लिए ‘दिल’ पर पत्थर रखकर समर्थन दे रहे हैं। अपने आप में बिना कुछ कहे सबकुछ कह गईं।   वहीं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने बिना शर्त, बिना मांगे कांग्रेस को समर्थन का ऐलान कर दिया। तीनों राज्यों में मुख्यमंत्रियों का नाम भी कांग्रेस ने घोषित नहीं किया था। उससे पहले ही सपा के महासचिव ने ये कहकर महागठबंधन पर मट्ठा डाल दिया कि कांग्रेस जहां मजबूत होती है, वहां वह दूसरों को महत्व नहीं देती है।

माया को कांग्रेस ने कराया इंतजार

ये हालात तब हैं, जब 2019 के आम चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं। महागठबंधन की सूरत तब और बिगड़ी थी जब बसपा सुप्रीमो मायावती ने छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के साथ बैठकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। साथ ही सार्वजनिक ऐलान किया था कि उन्होंने कांग्रेस का बहुत इंतजार किया। सब्र का बांध टूट गया तो निर्णय लेना पड़ा। वहीं अखिलेश ने भी नाराजगी जताई थी।

कांग्रेस मांगे ‘मोर’

अब ऐसे में यूपी में सीटों के बंटवारे की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। क्योंकि जो फॉर्मूला माया ने कांग्रेस के लिए तय किया था। उसे वो पहले ही नकार चुके हैं। अब इस जीत के बाद कांग्रेस का मनोबल और लोकसभा के लिए बाहुबल भी बढ़ गया है। ऐसे में जो रामगोपाल कह रहे हैं, अगर ये हुआ तो देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में जहां से चलकर ही रास्ता केंद्र की ओर जाता है। उसमें सबसे बड़ी बाधा ये जीत ही बनेगा।

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क्या कहते हैं जानकार

महागठबंधन को लेकर जानकारों का भी मानना है कि कांग्रेस की महा जीत से कांग्रेस के सुर बदलेंगे। वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ल कहते है।

बृजेश शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार
बृजेश शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार

‘सत्ता आने से अहंकार भी आता है, कांग्रेस जीत के बाद किसी के निर्देश मानने को बाध्य नहीं है। साथ ही सीटों की ब्लैकमेलिंग तो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी। क्योंकि तीन राज्यों में बीजेपी को हराकर उसने लोकसभा में मोदी को मात देने का सपना देख लिया है’।

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