उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय मिश्रा गिरफ्तार

उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलसचिव डॉ.मृत्युंजय मिश्रा को विजिलेंस की टीम ने आज शाम ईसी रोड स्थित एक कॉफी शॉप से गिरफ्तार कर लिया.

देहरादून सेक्टर के विजिलेंस एसपी प्रमोद कुमार ने इसकी पुष्टि की है. वहीं टीम आयुर्वेद विवि पहुंचकर इस मामले में अन्य लोगों से भी पूछताछ कर रही है.

आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय मिश्रा को विजिलेंस की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है.   आज शाम 4 बजे पुलिस ने डॉ. मिश्रा को देहरादून के ईसी रोड से गिरफ्तार किया गया है.धारा 467, 468, 420, 120 B और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मिश्रा की गिरफ्तारी की गई है.

ये हैं आरोप

उनके खिलाफ विवि में पद पर रहते पदों पर भर्ती में गड़बड़ी करने, वित्तीय अनियमितता और घोटाले के आरोप हैं. मामले की जांच विवि के कुलपति ने की थी. इसके बाद शासन ने विजिलेंस को खुली जांच करने के आदेश दिए थे. कई घोटालों के अलावा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और आला अधिकारियों के स्टिंग करने के प्रयास में भी उनकी अहम भूमिका मानी जा रही है. शासन स्तर पर हुई जांच के बाद ये कार्रवाई की गई है.

देहरादून एडीजी राम सिंह मीणा ने बताया कि डॉ. मृत्युंजय मिश्रा ने कई घोटाले किये हैं. जिनमें कंप्यूटर खरीद से लेकर फर्नीचर घोटाला, पेमेंट देकर वापस अपने खातों में पैसा मंगवाना आदि घोटालों में उनका नाम सामने आया है.

किए गए थे निलंबित

बता दें कि हाल ही में उन्हें आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव पद से निलंबित कर दिया था. अप्रैल माह में मृत्युंजय मिश्रा को कुलसचिव के पद से हटाकर शासन में ही अटैच कर दिया गया था.बाद में इस आदेश को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था. इसके बाद मृत्युंजय मिश्रा विवि में कार्यभार ग्रहण करने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें छात्र नेताओं का विरोध झेलना पड़ा और गेट पर ही रोक दिया गया.

प्रो. अभिमन्यु  ने शासन को लिखा पत्र

कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार ने शासन को पत्र भेजकर कहा था कि चूंकि मृत्युंजय मिश्रा के खिलाफ विजिलेंस जांच गतिमान है. उनके कुलसचिव पद पर बने रहने से उनके खिलाफ नियम विरुद्ध नियुक्ति, वित्तीय अनियमितताओं, घोटालों से संबंधित जांच और विजिलेंस जांच प्रभावित हो सकती है. इसी को आधार मानते हुए सचिव शैलेश बगोली ने उन्हें तत्काल निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया था.

मिल रहा था आधा वेतन

आदेश के तहत कहा गया था कि निलंबन अवधि में डॉ. मिश्रा को वित्तीय नियम संग्रह के प्रावधानों के तहत जीवन निर्वाह के लिए आधा वेतन दिया जाएगा. यह सभी भुगतान केवल तभी किया जाएगा जबकि डॉ. मिश्रा इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें कि वह किसी अन्य व्यापार या व्यवसाय से पैसा नहीं कमा रहे हैं.

आपको बता दें कि, इससे पहले भी समाचार प्लस के सीईओ उमेश शर्मा द्वारा कराए गए स्टिंग में भी इनका नाम सुर्खियों में आया था. जिसके बाद इस प्रकरण में इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी.

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