तेल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ भारत बंद, लेकिन विपक्ष की सरकारें भी तो नहीं दे रहीं राहत

विपक्षी दल भले ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोले हुए हैं, लेकिन अपने शासित राज्यों में वो पेट्रोल और डीजल पर वैट कम करने का कदम उठाते नहीं दिखते।

 विश्वजीत भट्टाचार्य: पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों के खिलाफ कांग्रेस और 21 अन्य विपक्षी दलों ने भारत बंद किया है। इन दलों का आरोप है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इतना टैक्स लेती है कि आम लोगों को पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमत चुकानी पड़ती है। जबकि, हकीकत ये भी है कि इन विपक्षी दलों की राज्य सरकारें भी आम लोगों का खून चूसने में पीछे नहीं हैं।

वैट कम करके दे सकते हैं राहत
विपक्षी दल भले ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोले हुए हैं, लेकिन अपने शासित राज्यों में वो पेट्रोल और डीजल पर वैट कम करने का कदम उठाते नहीं दिखते। अगर देखें, तो मोदी के साथ रहने के बाद उससे अलग हुई तेलुगू देशम पार्टी की आंध्र प्रदेश सरकार पेट्रोल पर 36.42 और डीजल पर 29.12 फीसदी वैट लेती है। दिल्ली में पेट्रोल पर 27 फीसदी और डीजल पर 17.32 फीसदी वैट है। कर्नाटक में पेट्रोल पर 28.24 और डीजल पर 18.19 फीसदी वैट है। केरल में पेट्रोल पर 32.04 और डीजल पर 25.67 फीसदी वैट है। मेघालय में पेट्रोल पर 22.44 और डीजल पर 13.77 फीसदी वैट है।

उड़ीसा में पेट्रोल पर 24.48 फीसदी और डीजल पर 24.89 फीसदी की दर से वैट लगता है। वहीं, पंजाब में पेट्रोल पर 35.65 और डीजल पर 17.10 फीसदी वैट लगता है। ये सारे राज्य विपक्ष शासित हैं। हालांकि, जल्दी ही होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए ही वसुंधरा राजे की राजस्थान सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 4 फीसदी वैट कम करने का एलान किया है, लेकिन हकीकत ये भी है कि बीजेपी शासित अन्य राज्यों में वैट की राहत नहीं मिल रही है।

ये है तेल का खेल
आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में इंडियन बास्केट में कच्चे तेल की कीमत करीब 5 हजार रुपए प्रति बैरल है। एक बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है। ऐसे में हर लीटर कच्चा तेल करीब 31 रुपए का पड़ रहा है। इसमें एंट्री टैक्स, रिफायनरी में प्रोसेसिंग, लैंडिंग में होने वाला खर्च और अन्य खर्च मिलाकर पेट्रोल 34 रुपए 39 पैसे और डीजल 37 रुपए 8 पैसे प्रति लीटर का हो जाता है। इसके बाद हर लीटर पेट्रोल पर 3 रुपए 31 पैसे और डीजल के हर लीटर पर 2 रुपए 55 पैसे का मार्जिन, ढुलाई और फ्रेट की कीमत लगती है। ऐसे में पेट्रोल करीब 38 रुपए और डीजल प्रति लीटर करीब 40 रुपए का हो जाता है।

इसके बाद केंद्र सरकार पेट्रोल पर 19 रपए 48 पैसे और डीजल के हर लीटर पर 15 रुपए 33 पैसे का एक्साइज टैक्स वसूलती है। इससे पेट्रोल का हर लीटर 57 रुपए से ज्यादा और डीजल का हर लीटर करीब 55 रुपए का हो जाता है। पेट्रोल पंप डीलर हर लीटर पेट्रोल पर करीब 4 रुपए और प्रति लीटर डीजल पर करीब 3 रुपए कमीशन लेते हैं। ऐसे में पेट्रोल की प्रति लीटर कीमत करीब 61 रुपए और डीजल के हर लीटर की कीमत करीब 58 रुपए हो जाती है। इसके बाद राज्य सरकारों का वैट लगता है और फिर आम लोगों के लिए पेट्रोल-डीजल के रेट तय होते हैं।

विपक्षी दल एक्साइज घटाने की ही करते हैं मांग
बीजेपी की सरकारों के अलावा विपक्षी दलों की सरकारें भी वैट में छूट देना नहीं चाहतीं। वो लगातार केंद्र सरकार से एक्साइज ड्यूटी कम करने के लिए कहती हैं। पेट्रोल और डीजल को राज्य सरकारें जीएसटी में लाने के पक्ष में भी नहीं हैं। ऐसे में उनकी सरकारों की आय भी घट जाएगी। कुल मिलाकर जनता को परेशान करने के इस हम्माम में बीजेपी के अलावा बाकी राज्य सरकारें भी नंगी हैं.


लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं, इनसे [email protected] के जरिए संपर्क किया जा सकता है.


 

Previous articleयोगी के मंत्री राजभर ने एससी-एसटी एक्ट पर सरकार के फैसले को बताया वोटों की राजनीति
Next articleकच्चा तेल सस्ता था, तब भी मोदी सरकार ने अपनी कमाई में नहीं छोड़ी थी कसर