विश्वजीत भट्टाचार्य: राहुल गांधी ने बीते दिनों पुष्कर में पूजा करने के दौरान अपना गोत्र “दत्तात्रेय” बताया था. ये उनके पिता के ननिहाल यानी नेहरू खानदान का गोत्र है. राहुल के अपना गोत्र बताने के बाद इस पर सवाल उठ रहे हैं. दरअसल, गोत्र पिता के कुल का होता है. तो फिर राहुल ने अपने ननिहाल का गोत्र पूजा के वक्त क्यों बताया ? इस सवाल का जवाब 43 साल पहले उनकी दादी इंदिरा गांधी के दस्तखत वाले एक दस्तावेज से मिलता है.
क्या है ये दस्तावेज ?
राहुल की वंशावली का एक दस्तावेज सामने आया है. तारीख है 20 मई 1975 की. उस तारीख को इंदिरा गांधी द्वारिकाधीश मंदिर गई थीं और वहां पूजा के दौरान अपनी वंशावली नोट कराई थी. इस वंशावली में उन्होंने नेहरू खानदान के सभी लोगों का नाम लिखा था, लेकिन अपने पति फिरोज गांधी का नाम इसमें नहीं लिखा था.
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अब भाजपा को और कितने प्रमाण चाहिये?— digvijaya singh (@digvijaya_28) November 27, 2018
वंशावली के दस्तावेज में क्या लिखा है ?
इंदिरा गांधी के दस्तखत वाली इस वंशावली में लिखा है- “श्री द्वारिकाधीशजी की असीम कृपा से और पंडाजी का आशीर्वाद से भारतवर्ष के वर्तमान मुख्य-प्रधानमंत्री का स्थान शोभायमान कर रही हूं.”
इसके बाद लिखा है- “संवत 2031, वैशाख, शुक्लपक्ष, तिथि- 10 दिनांक- 20 मई 1975, द्वारकाजी.”
इसके नीचे वंशवृक्ष लिखा गया है और नेहरू खानदान के लोगों के नाम लिखे हैं. वंशावली में सबसे ऊपर लिखा है पंडित नारायण जी नेहरू, इसके बाद गंगाधर जी नेहरू. गंगाधर नेहरू के नीचे उनके दोनों बेटों नंदलाल नेहरू और मोतीलाल नेहरू के नाम के साथ उनकी वंशावली दी गई है.
मोतीलाल नेहरू की वंशावली में उनके बाद जवाहरलाल नेहरू, फिर इंदिरा गांधी, फिर संजय कुमार और राजीव कुमार लिखा है और राजीव के नाम के नीचे राहुल और प्रियंका लिखा है. सबसे नीचे इंदिरा गांधी ने तारीख डालकर दस्तखत किए हैं और पिता का नाम लिखा है.
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वहीं सनातन धर्म के जानकर व प्रख्यात तांत्रिक आचार्य शैलाश तिवारी का कहना है कि गोत्र पिता से ही चलता है. न माता से न दादी के ननिहाल से. वहीं पूजा या अनुष्ठान के वक्त मन ही मन गोत्र का नाम लेने की व्यवस्था है. राहुल गांधी के गोत्र को लेकर जिस तरीके से प्रचार किया जा रहा है. वो राजनीति से ज्यादा और कुछ नजर नहीं आता है.
पति फिरोज का नाम कहीं नहीं
इंदिरा गांधी के दस्तखत वाले इस दस्तावेज में उनके पति और राहुल के दादा फिरोज गांधी का नाम कहीं नहीं है. ये तो सभी को पता है कि फिरोज और इंदिरा के बीच मनमुटाव हो गया था और दोनों अलग रहने लगे थे, लेकिन इंदिरा और फिरोज गांधी के बीच तलाक नहीं हुआ था और न ही इसका कोई दस्तावेज ही है. तो जब इंदिरा गांधी ने अपने बेटे और पौत्र-पौत्री को नेहरू खानदान का हिस्सा बता दिया, फिर राहुल भी आखिर वही गोत्र बता रहे हैं, जो उनके पिता के ननिहाल का है. हालांकि, 1975 का जो दस्तावेज सामने आया है, उसमें इंदिरा गांधी ने कहीं भी नेहरू खानदान के गोत्र की जानकारी नहीं दी है.
दत्तात्रेय तो खुद “अत्रि” गोत्र के थे, फिर राहुल कैसे हैं दत्तात्रेय गोत्र के
कितने होते हैं गोत्र ?
महाभारत के शांति पर्व में चार गोत्र बताए गए हैं. इनके नाम हैं अंगिरा, कश्यप, वशिष्ठ और भृगु. वहीं, बाद में इसमें अत्रि, विश्वामित्र, अगस्त्य और जमदग्नि के नाम जोड़े गए हैं. यानी गोत्रों की कुल संख्या आठ है. इन आठ गोत्रों के अलावा 49 प्रवर हैं और इन्हें भी गोत्र ही माना जाता है. खास बात ये कि इन 49 प्रवरों में भी दत्तात्रेय का नाम नहीं है. गोत्र का संबंध रक्त से है और प्रवर का रिश्ता आध्यात्मिक है. यानी संबंधित ऋषि के यहां अगर किसी दूसरे गोत्र के व्यक्ति ने शिक्षा भी ली है, तो वो गुरु के प्रवर में शामिल होने के नाते ऋषि के गोत्र के लोगों का भाई या बहन माना जाता है.
क्या होता है गोत्र ?
गोत्र का मतलब कुल होता है. यानी संबंधित व्यक्ति किस ऋषि के कुल का है. पुराणों और स्मृति ग्रंथों में कहा गया है कि अगर कोई कन्या सगोत्र न हो, लेकिन सप्रवर हो तो उसके विवाह की अनुमति उसी प्रवर में नहीं दी जा सकती. क्योंकि शादी के लिए तीन पीढ़ियों का गोत्र और प्रवर अलग होना जरूरी होता है.
कौन थे दत्तात्रेय ?
दत्तात्रेय को ऋषि नहीं, बल्कि भगवान माना जाता है. उन्हें त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार कहा जाता है. ऋषि अत्रि के घर में जन्म लेने के कारण उनका खुद का गोत्र ही अत्रि है. ऐसे में गोत्रों की सूची में कहीं दत्तात्रेय नाम का गोत्र नहीं है.
जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने भी कहा है-
आदौ ब्रह्मा मध्ये विष्णुरन्ते देव: सदाशिव:
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेयाय नमोस्तुते.
ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले
प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेयाय नमोस्तुते..
यानी, जो आदि में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और अंत में शिव हैं. उन भगवान दत्तात्रेय को नमस्कार करता हूं. ब्रह्मज्ञान जिनकी मुद्रा है और आकाश और जमीन को जिन्होंने वस्त्र की तरह पहना है, जो साकार प्रज्ञानघन स्वरूप हैं, उन भगवान दत्तात्रेय को मैं नमस्कार करता हूं.
दत्तात्रेय गोत्र कोई गोत्र नहीं होता
सनातन धर्म परंपरा के जानकर व प्रख्यात तांत्रिक आचार्य शैलेश तिवारी का कहना है कि दत्तात्रेय कोई गोत्र नहीं है. दत्तात्रेय शिवस्वरूप थे, जिन्हें महाराष्ट्र आदि क्षेत्रों में पूजा जाता है. दत्तात्रेय का स्वयं का गोत्र अत्रि था. आचार्य तिवारी के मुताबिक, इसाई, मुस्लिम व पारसी आदि को लेकर भी सनातन धर्म में व्यवस्था है. जिसका गोत्र नहीं पता होता उसे कश्यप गोत्र का मानने का विधान है. दरअसल, जब ब्रह्मा ने सप्तऋषि बनाए तो कश्यप ऋषि को उसमे शामिल नहीं किया, इससे कश्यप ऋषि रूष्ट हो गए. कालांतर में सप्तऋषि से अलग सभी मुनष्य सनातनी व्यवस्था में कश्यप गोत्र के माने जाने लगे. पूजा अनुष्ठान के वक्त गोत्र मन में दोहराने का प्रावधान है. ऐसे में राहुल गांधी के गोत्र को लेकर हो रहा प्रचार राजनीति में ज्यादा कुछ प्रतीत नहीं होता.