कोरोना वायरस के बढ़ते खौफ के बीच पूरी दुनिया को जिस का इंतजार है, वो है कोरोना वैक्सीन। कोरोना की वजह से अब तक लाखों लोग काल के गाल में समा चुके हैं। ऐसे में अगर ये वैक्सीन बन जाती है तो इससे कोरोना के संक्रमण पर काबू पाने में काफी हद तक सफलता मिलेगी। साथ ही इस रेस में फर्स्ट आने वाले देश को ”दुनिया का किंग” का भी तमगा हासिल हो सकेगा।
वैक्सीन बनाने के लिए मची होड़
वैक्सीन बनाने के लिए कई देशों में होड़ मची हुई है। कुछ देश तो इसे बनाने का दावा भी कर चुके हैं। अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश भी वैक्सीन की खोज में शिद्दत से लगा हुआ है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘ऑपरेशन रैप स्पीड’ चला रखा है जिसमें फार्मा कंपनियों के साथ सरकारी एजेंसियां और मिलिट्री शामिल हैं। वहीं, हाल में चीन ने भी दावा किया है कि वो कोरोना वायरस की वैक्सीन बना चुका है और बंदरों पर इसका सफल परीक्षण भी किया जा चुका है। खैर एक बाद तो तय है कि कोरोना वैक्सीन बनाने वाले देश का विश्व में डंका जरूर बजेगा। यही वजह है कि कई मुल्क इस पर तेजी से रिसर्च कर रहे हैं।
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अमेरिका को किस बात का डर?
चीन अगर अमेरिका से पहले वैक्सीन बना लेता है तो अमेरिका को इससे तगड़ा झटका लगेगा। अमेरिका को डर है कि अगर चीन ने पहले वैक्सीन बना ली तो वह राजनीतिक हथियार के तौर पर इसका इस्तेमाल कर सकता है। इसीलिए अमेरिका इस वैक्सीन की खोज के लिए फार्मा कंपनियों, सरकारी एजेंसियों और सेना के साथ जुटा हुआ है। अमेरिका और चीन के बीच पहले ही कई मुद्दों को लेकर तनाव भी चल रहा है। अमेरिका ने WHO पर चीन को लेकर पक्षपात करने का आरोप लगाकर इस संस्था की फंडिंग भी रोक दी है।
गर्त में अमेरिकी अर्थव्यवस्था
चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। ऐसे में अमेरिका अगर वैक्सीन बना लेता है तो उसकी अर्थव्यवस्था में रफ्तार का धक्का लगना तय है। अमेरिका में कोरोना के लाखों मामले सामने आ चुके हैं तो वहीं हजारों लोगों की इससे मौत हो गई है।
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भारत में भी चल रही वैक्सीन की खोज
भारत में भी कोरोना वैक्सीन की खोज चल रही है। करीब आधा दर्जन भारतीय कंपनियां कोविड-19 के वायरस के लिए वैक्सीन बनाने में जुटी है। इसके अलावा रूस में चार प्रॉजेक्ट्स चल रहे हैं। इनमें से एक नोवोसिबिर्स्क वेक्टर लैब में चल रहा है जहां एक समय में सोवियत जैविक हथियार बनाए जाते थे।