उत्तर प्रदेश की जेलों में सरकार की नहीं अपराधियों की चलती है. प्रदेश की जेलों में प्रशासन का आदेश नहीं चलता. इन जेलों में बंद माफिया यहां अपनी हुकूमत चलाते है. जेलकर्मी इनके इशारों पर नाचते है. और कोई इनके आदेशों को मानने से इंकार कर दे तो माफिया अपनी राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करके या तो उसका तबादला कर देते है या फिर जेल के बाहर अपने गुर्गों से उसकी हत्या करवा दी जाती है.
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रायबरेली जेल में बंद अंशू दीक्षित व उसके साथियों की दबंगई का वीडियो, बागपत जेल में हुई मुन्ना बंजरगी की हत्या इसका जीता जागता सबूत है. उतर प्रदेश की जेलों का इतिहास भी यही है और वर्तमान भी.
बागपत जेल के एक अफसर ने बताया कि उसने ही माफिया सुनिल राठी को असलह पहुंचाया था जिससे मुन्ना बंजरगी की हत्या हुई थी.
फतेहगढ़ जेल में बंद माफिया अतुल सिंह अपने आतंक का साम्राज्य जेल से ही ऑपरेट करता था. इसका सबूत माफिया के साथ जेल अधिकारी की बातचीत का एक आडियो भी सामने आया था.
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नौतनवा से निर्दलीया विधायक रहे अमरमणि त्रिपाठी मधुमिता हत्याकाण्ड में अभी उम्रकैद की सजा काट रहे है. लेकिन जेल के अंदर से ही उनकी दबंगई जारी है. जेल के अंदर इनका जन्मदिन भी मनाया गया.
अपनी राजनीतिक रसुख का इस्तेमाल करके अमरमणि जब चाहते जेल से बाहर आ जाते. और जब चाहते अपनी सहुलियात के हिसाब से मनमाने जेल में अपना ट्रांसफर करवा लेते है. सीबीआई ने जेल में बंद अमरमणि पर अंकुश लगाना चाहा लेकिन अमरमणि पर उसका कोई जोर नहीं चला. बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी से जेल में जो भी मिलने जाता है उसकी जेलकर्मी तालाशी तक नहीं लेते.
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रायबरेली की जेल की वीडियो अभी सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. जेल में बंद माफियों का वीडियो सामने आन के बाद जेल के एसएसपी समेत 6 अधिकारीयों को निलंबित कर दिया गया है. सवाल अब भी बरकरार है कि क्या सरकार की कार्रवाई के बाद भविष्य मे कुछ सुधार देखने को मिलेगा होगा या जेलों में बेद माफियाओं की गुंडई जारी रहेगी.