नई दिल्लीः भीमा-कोरेगांव मामले में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरिया और वरनोन गोंजालवेस की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक पांचों वामपंथी विचारकों को 6 सितंबर तक हाउस अरेस्ट यानी कि उनके घर पर ही नजरबंद रखने का आदेश दिया है. इस मामले पर 6 अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी.
Supreme Court directs to keep the five accused under house arrest till September 5. #BhimaKoregaon https://t.co/Jcbt1YhvN2
— ANI (@ANI) August 29, 2018
बता दें, पांच वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी के विरोध में इतिहासकार रोमिला समेत चार अन्य कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दायर करते हुए कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए अनुरोध किया था. इसके साथ ही इन गिरफ्तारियों के मामले पर स्वतंत्र जांच कराने का भी अनुरोध किया था.
इसके साथ ही फरीदाबाद की एक अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सुधा भारद्वाज को 30-31 अगस्त तक उनके ही घर पर पुलिस की देखरेख में रहने के आदेश दिए हैं. ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट अशोक शर्मा ने भारद्वाज को 30-31 अगस्त तक उनके ही घर पर सूरजकुंड पुलिस की देखरेख में रहने के आदेश दे दिए हैं.
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आपको बता दें कि, मंगलवार को महाराष्ट्र पुलिस ने पुणे स्थित भीमा-कोरेगांव में इस साल की शुरुआत में भड़की हिंसा के मामले में कई शहरों में एक साथ छापेमारी करके 5 कथित नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया है. इसके साथ ही पुलिस ने इन लोगों के आवास से उनके लैपटॉप, मोबाइल फोन और कुछ दस्तावेजों को भी जब्त किया है. पुणे पुलिस का दावा है कि इन लोगों का संबंध बड़े नक्सलियों से जुड़े हो सकते हैं.
पुलिस ने इस मामले में अबतक हैदराबाद से कवि वरवर राव, फ़रीदाबाद से सुधा भारद्वाज और दिल्ली से गौतम नवलखा, ठाणे से अरुण फरेरा और गोवा से बर्नन गोनसालविस को गिरफ्तार किया है. इस मामले में पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने महाराष्ट्र के डीजीपी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है.